मधेपुरा/बिहार : भारत को सन 1947 में स्वतंत्रता मिली, उस दौरान दुनिया में मुख्य रूप से दो तरह की अर्थव्यवस्थाएं चल रही थी । अमेरिका आदि देश पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के समर्थक थे, जबकि सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादी व्यवस्था चल रही थी । भारत ने इन दोनों व्यवस्थाओं को मिलाकर मिश्रित अर्थव्यवस्था को स्वीकार किया ।
यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य सह बीएनएमयू के पूर्व सिंडीकेट सदस्य डा परमानंद यादव ने कही । वे गुरूवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के बीबीए विभाग में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे । सेमिनार का विषय पब्लिक सेक्टर का निजीकरण, नई कर-प्रणाली और आर्थिक विकास था । डा परमानंद यादव ने कहा कि भारतीय नेताओं ने यह सोचा कि मूलभूत चीजें पब्लिक सेक्टर में रहें एवं इनका संचालन सरकारी नियंत्रण में हो । इसलिए रक्षा, रेलवे आदि को पब्लिक सेक्टर में रखा गया ।
निजीकरण की नीतियां वंचित वर्ग के खिलाफ : डा परमानंद यादव ने बताया कि प्राइवेट सेक्टर में कोई एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह मालिक होता है । यहां प्राकृतिक संसाधनों का दोहन एवं श्रमिकों का शोषण अधिक होता है । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डा केपी यादव ने कहा कि महाविद्यालय लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है । यहां नियमित रूप से शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि बीबीए एक जाॅब ओरिएंटेड कोर्स है, इसका बहुत डिमांड है । आज हर कंपनी को अच्छे प्रोफेशनल्स की जरूरत है ।
सिंडीकेट सदस्य डा जवाहर पासवान ने कहा कि निजीकरण की नीतियां वंचित वर्ग के खिलाफ हैं एवं इसका देश पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है । भारत को एक इस्ट इंडिया कंपनी ने गुलाम बना लिया था । अब तो सैकड़ों विदेशी कंपनियां आ गई हैं, ऐसे में देश पर गुलामी का खतरा बढ़ता जा रहा है । उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनियों का निजीकरण नहीं होना चाहिए । भारत सरकार द्वारा रेलवे आदि सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करने का प्रयास, देश के लिए खतरनाक है । उन्होंने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने एवं नई कर प्रणाली को वापस लेने की मांग की ।
भूमंडलीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण की नीति भारत के लिए नुकसानदेह : बीबीए विभाग के समन्वयक डा मनोज कुमार यादव ने कहा कि भारत में नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में निजीकरण की नीति को स्वीकार किया गया एवं तब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे । आज देश निजीकरण की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। रेलवे का भी निजीकरण किया जा रहा है । कुछ रूट पर निजी ट्रेन चल रही हैं । जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर ने कहा कि भूमंडलीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण की नीतियां भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अत्यधिक नुकसानदेह है । उन्होंने कहा कि निजीकरण की नीतियों ने गरीबीे, बेरोजगारी एवं विषमता को बढ़ावा दिया है इसके कारण गांव-समाज उजड़ रहा है, खेती-किसानी एवं लघु-कुटीर उद्योग बंद हो रहे हैं एवं देश की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचा है ।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम पदाधिकारी डा विजया कुमारी, दीपक कुमार राणा, एके भारती, रीत कुमार, मनोज कुमार, अब्दुर रहमान, राकेश कुमार, रूपेश कुमार, ऐश्वर्या भवानी, अदिति राज, साक्षी श्रेया, सोनल शर्मा, निशि भारती, दिव्यांशी, अंजली कुमारी, सुबलेश पंडित, इफ्तेखार मीर, आकाश आनंद, सोनू कुमार, कुंदन कुमार रजक, सोनू कुमार, सूरज कुमार, हिमांशु कुमार, फैयाज, आनंद कुमार झा, रौशन कुमार आदि उपस्थित थे ।