मधेपुरा : केंद्र सरकार की गलत नीतियों से सबसे ज्यादा एससी एसटी को होगा नुकसान – मुफ्ती सोहराब नदवी

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण न केवल देश परेशान है बल्कि पूरे विश्व में भारत की गरिमा गिर रही है। ऐसा लगता है कि देश में जुल्म की आग लगी हुई है। जरूरत है कि इस आग को बुझाने के लिए देश से मुहब्बत करने वाले लोग आगे आयें।

 उक्त बातें मंगलवार को जिला मुख्यालय के मस्जिद चौक पर सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर के खिलाफ पिछले ढेर माह से जारी अनिश्चितकालीन धरना स्थल पर आयोजित समाज के सभी तबके के बुद्धिजीवियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे इमारत-ए-शरिया, बिहार, उड़ीसा एवं झारखंड के नायब नाजीम मुफ्ती सोहराब नदवी ने कही। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस कानून के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है। इस आवाज को सुनना एवं क्रूर कानूनों को खारिज करना सरकार की जिम्मेदारी थी, लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी है एवं देश में नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है, जिससे ना सिफ़ मुसलमान बल्कि देश भर के अमन पसंद लोग आहत हैं। जबकि प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति यह समझ रहा है कि इन कानून से सबसे अधिक नुकसान एससी-एसटी एवं ओबीसी को हैं। बैठक के मकसद पर रौशनी डालते हुए मुफ्ती सोहराब नदवी ने कहा कि देश के मौजूदा हालात पर अमीर-ए-शरीयत चिंतित है एवं सरकार के इस क्रूर कानून के खिलाफ इमारत-ए-शरिया की यह लड़ाई जारी रहेगी.यह बैठक भी उसी चिंता का हिस्सा है।

 बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि इस कानून के खिलाफ जहां-जहां धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, उसे सभी मिलकर पूरी मजबूती के साथ जारी रखें। साथ ही प्रखंड स्तर पर बैठक कर इस आंदोलन को ताकत प्रदान करने के साथ-साथ दलित, महादलित आबादी वाले इलाके का दौरा करके एससी-एसटी नेताओं का इस धरना प्रदर्शन में उपस्थिति सुनिश्चित किया जाए।

 इस दौरान बाम सेफ के महासचिव इ हरीश चंद्रमंडल, जन अधिकारपार्टी के जिलाध्यक्ष प्रो मोहन मंडल, सीपीआईएम के गणेश मानव एवं चंद्रशेखर आजाद आदि ने भी अपनी बात रखी. इमारत-ए-शरिया द्वारा आयोजित इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवियों सहित की कई संगठनों के लोग मौजूद थे।

 बैठक में इमारत-ए-शरिया जिला एवं ब्लॉक कमिटी के सदस्य, मस्जिदों के इमाम ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी भागीदारी पेश की। बैठक को सफल बनाने में मौलाना नुरुल्लाह, काजी फ़ैयाज, मुखिया परवेज आलम, वार्ड पार्षद इसरार आदि की अहम भूमिका रही।


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