पटना नाव हादसा -14 जनवरी 2017

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14 जनवरी 2017 पटना के दियारा इलाके में मकर संक्रांति मनाने गए तीन दर्जन के करीब लोग हो गये थे नाव हादसे के शिकार 

यह हादसा शासन प्रशासन की लापरवाही के चलते हुआ था

हादसे के बाद से दियारा क्षेत्र में पतंगबाजी और मकर संक्रांति उत्सव पर विराम लग गया 

अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

पटना/बिहार : मकर संक्रांति के दिन बरबस ही उस घटना की याद आ जाती है जो पटना के एनआईटी घाट से सटे दियारा इलाका घटी थी।  देखते ही देखते शाम के साढ़े 6 बजे के आसपास दियारा से खुली एक नाव थोड़ी ही देर बाद गंगा में समा गई थी और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। जिस जगह दुर्घटना हुई थी उसे गंगा दियारा कहते हैं और यहीं पर बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा तीन-दिवसीय पतंग उत्सव का आयोजन किया गया था। लोगों को गांधी घाट से एक क्रूज पर वहां लाया गया था और यह सेवा मुफ्त थी।

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कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के मकसद से ही क्रूज से भारी संख्या में लोगो को कार्यक्रम स्थल पर ले जाया गया था। शाम साढ़े 5 बजे तक कार्यक्रम खत्म हो चुका था। अधिकारी कार्यक्रम खत्म होने के बाद लौट आए थे। लेकिन रह गई हजारों लोगों की भीड़ जो हर हाल में पटना वापस आना चाहती थी। भीड़ हज़ारों की भले ही थी लेकिन उन्हें लाने के लिए गिनी चुनी नावें थी। यहां बिहार सरकार के अधिकारियों की  बड़ी लापरवाही सामने आयी। दरअसल पतंगोत्सव में हज़ारों की भीड़ जुटानेवाले अधिकारियों के जेहन में यह बात आई ही नहीं कि लोग गंगा के उस पार से वापस कैसे लौटेंगे? उन्हें तो बस अपनी और अपने परिवार की चिंता थी। आलम यह था कि लोगों ने काफी देर तक सरकारी व्यवस्था का इंतज़ार किया, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ। आलम यह था कि अंधेरा होने के बाद लोग नजर आ रहे एक दो नावों को देख टूट पड़ते थे। इसी का फायदा एकं नाव के मालिक ने उठाया और छोटी सी नाव जिसपर बमुश्किल 8 से 10 लोग सवार होते उसपर क्षमता से कही ज्यादा 35 से 40 लोगों को बिठा लिया, समय करीब शाम साढ़े छह बजे का रहा होगा दियारा से खुली नाव अभी तो गंगा नदी में दो मिनट भी नाव आगे नहीं चली थी, तभी  हादसा हो गया। नाव में पानी भरने लगा था, लोग चिल्लाने लगे और फिर कुछ ही पल में नाव गंगा में डूब गयी। देखते ही देखते 24 लोगों ने जल समाधि ले ली, मौके पर चीख पुचार मच गई।

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दूसरे नाव से कुछ लोग मौके पर पहुंचे औऱ हादसे के शिकार हुए कुछ बचे लोगों को आनन-फानन में पीएमसीएच लेकर भागे, लेकिन मृतकों की संख्या तब तक 25 पहुंच चुकी थी। लोगो को यकिन ही नही हो रहा था कि पटना में इतना बड़ा हादसा हो चुका है। दरअसल इस हादसे ने प्रशासनिक तैयारियों  की पोलखोल कर रख दी थी। वहीं त्योहार के नाम पर एक बार फिर प्रशासन की कुव्यवस्था के नाम पर धब्बा लग चुका था। बता दें कि इसके बाद से ही इस तरह के आयोजन को सरकार खत्म करने का भी फैसला ले चुकी है।


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