मधेपुरा : देश में संप्रदायिक बंटवारा नहीं, शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा एवं सम्मान चाहिए-प्रमोद प्रभाकर

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : भारत सरकार की जनविरोधी नीति, मंदी, छटनी, महंगाई, बेकारी, निजी करण, किसानों की बदहाली, व्याप्त भ्रष्टाचार, बढ़ते अत्याचार, विभाजन कारी नागरिकता संशोधन कानून, जेएनयू के छात्रों पर संघी द्वारा हमले के खिलाफ, रोजी-रोटी, शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक सुरक्षा, सम्मान, समान काम के समान वेतन, 21 हजार रुपया न्यूनतम मासिक मजदूरी एवं वृद्धों के लिए 10 हजार रुपया मासिक पेंशन के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियन के अखिल भारतीय आम हड़ताल के समर्थन में बुधवार को जिला मुख्यालय में वामदलों के द्वारा प्रदर्शन, बाइक जुलूस एवं जगह-जगह चक्का जाम किया गया। इस दौरान वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।  

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सुबह करीब 10 बजे भाकपा के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के मुख्य द्वार पर पहुंचे तथा बैंक का ताला खोलने नहीं दिया।  वहां बैंक के कर्मियों ने भी सहयोग किया तथा बैंक का कामकाज ठप हो गया।  जिसके बाद ग्रामीण बैंक को भी बंद कराया गया।  तत्पश्चात आंदोलनकारियों ने सेंट्रल बैंक, यूके बैंक, केनरा बैंक, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक सहित अन्य बैंक, डाकघर, संचार, बीमा एवं बिजली कार्यालय का बाइक जुलूस के द्वारा भ्रमण किया।  भाकपा कार्यकर्ताओं ने प्रखंड कार्यालय एवं अनुमंडल कार्यालय भी पहुंचे जहां कर्मियों ने हड़ताल के समर्थन में कार्यालय का काम छोड़ बाहर निकले एवं सरकार को कर्मचारी विरोधी बताया।

देश में संप्रदायिक बंटवारा नहीं, शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा एवं सम्मान चाहिए :

वही एक्टू, एटक, सीटू एवं वाम दल के कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग स्थानों से प्रदर्शन निकाला, जो विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए कर्पूरी चौक पहुंचे एवं चक्का जाम कर यातायात को पूरी तरह ठप कर दिया. कर्पूरी चौक पर आंदोलनकारियों के द्वारा सभा भी आयोजित की गई।  आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार फांसीवादी एवं किसान मजदूर विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि देश में संप्रदायिक बंटवारा नहीं, अधिकार चाहिए. शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा एवं सम्मान चाहिए।  भाकपा नेता प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि देश में संविधान का उल्लंघन एवं लोकतंत्र पर हमला हो रहा है।  उन्होंने जेएनयू की घटना पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार एवं संघ परिवार अपनी तालिबानी कार्रवाई को रोकें अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे।

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सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कौड़ी के दाम में बेच रही है केंद्र सरकार : माकपा के राज्य कमेटी सदस्य गणेश मानव ने कहा कि केंद्र की सरकार कॉरपोरेट्स नीति के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कौड़ी के दाम में बेच रही है।  रेल, बैंक, बीमा, डिफेंस, कोयला, इस्पात, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं का निजीकरण कर रही है।  भाकपा के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन एवं मालिकों की गुलामी के चार लेबर कोड तथा खुदरा व्यापार में सौ प्रतिशत एफडीआई सरकार वापस ले।  किसान सभा के राज्य सचिव रमन कुमार एवं वरीय नेता शैलेंद्र कुमार ने कहा कि देश की हालत आपातकाल से भी ज्यादा खराब है।  देश में दहशत एवं आतंक का माहौल है, किसान एवं नौजवान बदहाल है।  वहां उपस्थित नेताओं ने बेकारों को काम, फसल का लाभकारी दाम एवं कृषि ऋण माफ करने की मांग की।  नेताओं ने कहा कि किसान की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर देना चाहती है केंद्र सरकार : माकपा के वरिष्ठ नेता अधिवक्ता श्यामानंद गिरि ने कहा कि केंद्र की सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर देना चाहती है।  मौके पर भाकपा के युवा नेता संभू क्रांति, अंचल मंत्री मो जहांगीर, एआईएसएफ के जिलाध्यक्ष वसीम उद्दीन उर्फ नन्हे, सौरव कुमार, एआईआईएफ के जिलाध्यक्ष जितेंद्र कुमार मुन्ना, उपाध्यक्ष पवन कुमार सुमन, बूटीश स्वर्णकार, राजीव कुमार यादव, एसएफआई के जिला सचिव राजदीप यादव, चंदेश्वरी यादव, एके यादव, मजदूर नेता माधो राम, मनोज भगत, विद्यानंद राम, मो सिराज, एटक नेता वीरेंद्र नारायण सिंह, दिलीप पटेल, मो जमील, सूर्य नारायण राय, रसोईया संघ की नेत्री सुशीला देवी, जगत्री देवी, छोटकी देवी, सुनीता देवी, राकेश कुमार, बुधदेव यादव, अमित कुमार, छात्र नेता मो इरशाद, प्रदीप यादव, राजकुमार, किसान नेता मोहन सिंह, रामसेवक यादव, राम बचन यादव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।


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