
वरीय संवाददाता,
चौसा, मधेपुरा
चौसा/मधेपुरा/बिहार : विद्यालय आधारित आकलन शिक्षण अधिगम का अभिन्न अंग है। सीखने के दौरान विषयवस्तु के विभिन्न पहलुओं पर बच्चों को कक्षा के अंदर और बाहर दोनों गतिविधियों में भाग लेने तथा अलग-अलग स्रोतों से जानकारी एकत्रित करने की आवश्यकता होती है। जिसे विद्यालय आधारित आकलन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है ।
उक्त बातें पांच दिवसीय निष्ठा प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक चतुर्भुज कुमार ने कही । वे आज रविवार को प्रखंड संसाधन केन्द्र चौसा में आयोजित निष्ठा प्रशिक्षण के दूसरे दिन चौथे माड्यूल की चर्चा कर रहे थे । उन्होंने कहा कि विद्यालय आधारित आकलन से बच्चों की दक्षता का सही और सटीक आकलन होता है । लिहाजा अध्यापन में सुविधा होती है । 
प्रशिक्षक राजीव रंजन और कुंदन कुमार ने कहा कि अध्यापन के दौरान आकलन ही वह उपागम है जिससे ज्ञान, निष्पादन, कौशल, रुचियाँ, दृष्टिकोण और अभिप्रेरणा स्पष्ट होता है । इससे शिक्षकों को न केवल प्रत्येक बच्चे के सीखने में आ रही परेशानी को समझने में मदद मिलती है, बल्कि विद्यार्थियों की आवश्यकता और सीखने की शैली के अनुसार उनके शिक्षण अधिगम को विचार, समीक्षा और संशोधित करने में भी मदद करता है।
