मधेपुरा/बिहार : छोटा शहर आबादी कम, फिर भी गंदगी से पटी सड़क नप की पहचान बन चुकी है। पूरा शहर गंदगी से पटा है, शहर का शायद ही कोई इलाका गली, चौराहा, बाजार व सड़क है, जो गंदगी व कूड़ा करकट से पटा नहीं है। लोग घरों का कूड़ा-कचरा सड़क पर डाल रहे है। इस वजह से शहर में गंदगी का फैलाव लगातार बढ़ रहा है। शहर को साफ-सुथरा रखने के नाम पर नगर परिषद को पसीने छूटने लगते है। लाख जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के बावजूद नप के कानों पर जू तक नहीं रेंगती है। आम हो या खास सभी नप की कार्यशैली से हलकान और परेशान है।
ज्ञात हो कि शहर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए नप की हर बैठक में प्लान तैयार होता है। उसी अनुरूप बजट भी बनता है। फिर भी धरातल पर साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था नहीं होती है। वहीं शहर को स्वच्छ बनाये रखने को लेकर सालाना करोड़ों खर्च होते है। लेकिन नतीजा सिफर ही निकलता है। नप द्वारा बरती जा रही उदासीनता, लापरवाही व मनमानी का ही नतीजा है कि हर वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण में मधेपुरा की रैकिंग नीचे जा रही है।
सड़क किनारे कचरा, शहर की बिगड़ रही सूरत : सड़क किनारे, चौराहे, गली, मोहल्ले में यत्र-तत्र जमा कचरा और उस पर मंडराते आवारा जानवर जहां संक्रमित बीमारियों को खुला आमंत्रण दे रहे हैं। वहीं शहर की खूबसूरती पर भी ग्रहण लगा रही है। छोटी-बड़ी सड़क व गली भी गंदगी से अछूती नहीं है। लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी होती है। सड़क किनारे जमा गंदगी से बदबू आती रहती है। इसके बावजूद नगर परिषद का रवैया ठीक नहीं हो रहा है।
सड़क पर गंदगी फेंक देते है लोग : नगर परिषद तो उदासीन है ही, शहर किस तरह खूबसूरत रहे इससे आम लोगों को भी कोई दरकार नहीं है। इसका नतीजा है कि दिन व दिन शहर की सड़कें अतिक्रमण का शिकार हो सिमटती जा रही है। वहीं गंदगी के अंबार से भी परेशानी बढ़ती जा रही है। नगर परिषद की सफाई व्यवस्था बदहाल है, तो घर व दुकान की गंदगी सड़क पर फेंकने की लोगों की मानसिकता अब भी बरकरार है। यहीं वजह है कि गंदगी व अतिक्रमण में शहर की खूबसूरती गुम हो गयी है।
टैक्स की जगह सुविधा नदारद : नगर परिषद द्वारा आम जनता से विभिन्न प्रकार के कर तो लिए जाते है, लेकिन सुविधाएं नहीं दी जाती है। इसी सुविधा में सफाई का भी नाम आता है। इस शहर की तस्वीर ऐतिहासिक व प्रगतिशील शहर जैसी नहीं है। गंदगी से पटी सड़कें मधेपुरा की पहचान बन गई है। लाखों की आबादी वाले इस शहर में नाली- बड़े नाले का अभाव है। सड़क पर अतिक्रमण का जाल है। शहर के कर्पूरी चौक, मुख्य बाजार रोड, सुभाष चौक, जयपाल पट्टी सहित शहर का यहीं हाल है। लोग घरों का कूड़ा कचरा सड़क पर डाल रहे है। दुकानदार दुकान की गंदगी सड़क पर डाल रहे है। इधर, नप नियमित सफाई कराता नहीं, लिहाजा लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। सड़क पर कूड़ा कचरा होने की वजह से सूअर, कुत्ता, गाय, बैल व साढ़ जैसे आवारा पशु धमा चौकड़ी करते नजर आते है। इतना ही नहीं गंदगी व उससे निकली सड़ांध से पैदल चलना भी मुश्किल होता जा रहा है।
नाला में प्लास्टिक वाला कचरा : शहरी क्षेत्र में अधिकांश जगहों पर नाला का प्लेट खुला रहने की वजह से सड़क पर फेंके गये कचरे नाला को जाम कर देते है। इस वजह से पानी का बहाव रुक जाता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि नाला का बहाव नहीं होने के कारण घरों में बारिश का पानी बाहर नहीं निकलता है। कई जगहों पर नाला का पानी निकलने के बजाय वापस घरों के अंदर भी पहुंच जाती है।
संक्रमण से फैलती है बीमारी : आवासीय व व्यवसायिक परिसर के आसपास कचरा जमा होने की वजह से जल जनित रोगों का खतरा मंडराने लगा है। लोगों ने बताया कि गंदगी की वजह से डायरिया व हैजा जैसे बीमारियों का प्रसार हो रहा है। इसके अलावा गंदगी की वजह से मलिन बस्तियों में चेचक का प्रकोप भी हो सकता है। ज्ञात हो कि गंदगी से निजात के लिए लोग अपने स्तर से डीटीटी का उपयोग भी कर रहे है।