मधेपुरा : वैदेही परिक्रमा- रामकथा पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय कला महोत्सव का आयोजन छ: दिसंबर से

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय, सहरसा द्वारा ऋषि शृंग की तपोभूभि सिंहेश्वर स्थान (ऋषि शृंग आश्रम ) से वैदेही परिक्रमा- रामकथा पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय कला महोत्सव का आयोजन छह दिसंबर 2019 से लेकर 14 जनवरी 2020 तक किया जायगा। इस महोत्सव में श्रीलंका तथा थायलैंड  के कलाकार सहित देश के लगभग तीन सौ कलाकार भाग लेंगे। सिंहेश्वर स्थान से आरंभ होकर परिक्रमा जत्था सीता कुंड मुंगेर, काको जहानाबाद, गिद्धेश्वर जमुई , तार भोजपुर , रामरेखा घाट बक्सर, रामचौरा  वैशाली, चंकीगढ़ प. चंपारण, बाल्मीकी नगर , पुनौरा धाम सीतामढ़ी, पंथ पाखर, सीतामढ़ी, फुल्लहैर मधुबनी, अहल्या स्थान दरभंगा तथा जनकपुर नेपाल होते हुए पुनः सिंहेश्वर स्थान पहुंचेगी।

 उक्त बातें रविवार को सिंघेश्वर मंदिर परिसर में प्रेस वार्ता के दौरान वैदेही परिक्रमा महोत्सव के संयोजक प्रो डा ओम प्रकाश भारती ने कहा। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य राम और सीता के आदर्श से समाज को अवगत कराना साथ ही मिथिला में सीता और राम से जुड़ी स्मृतियों, स्थलों तथा कलारूपों की गवेषणा करना है. यात्रा के दौरान अलग- अलग स्थलों पर रामकथा से जुड़े कलारूपों की प्रस्तुति करेंगे। सभी कार्यक्रम स्थलों पर रामकथा के विभिन्न पक्षों पर संगोष्ठी, पारंपरिक चित्रकला प्रतियोगता आदि आयोजित की जाएगी।

देश-विदेश की लगभग आठ सौ कलाकृतियों का होगा प्रदर्शन : प्रो डा ओम प्रकाश भारती ने बताया कि मत्स्यगंधा झील सहरसा के उत्तरी किनारे पर स्थित ‘कलाग्राम’ में रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय का निर्माण कार्य प्रगति पर है। प्रस्तावित संग्रहालय का निर्माण बटोही सहरसा के द्वारा किया जा रहा है। रामायण कला संग्रहालय में देश-विदेश की लगभग आठ सौ कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा. इन देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, थाईलैंड, श्रीलंका, फ़िजी, नेपाल, सूरीनाम तथा मॉरीशस शामिल हैं। इन देशों में रामकथा की प्राचीन परम्पराएं हैं। यहां के कलारूपों में रामकथा की उपस्थिति है। थाईलैंड के ‘रामकिएन’(राम की गौरवगाथा) को वहां की सरकार द्वारा 2017 में राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित किया गया है। खोन तथा नूङ्ग राम कथा पर आधारित लोकनृत्य नाटक हैं। थाईलैंड के रॉयल पैलेस में रामकथा पर आधारित चित्रकलाएं विशिष्ट शैली में उकेरी गई हैं।

 इसी तरह इंडोनेशिया, मलेशिया, कम्बोडिया, फ़िजी, मॉरीशस आदि देशों के कलारूपों तथा साहित्य में रामकथा की महत्वपूर्ण उपस्थिति मिलती है। इसके साथ-साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों के कलारूपों में राम से जुड़ी कलाकृतियों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। इन सभी कलारूपों का प्रतिनिधि संग्रह रामायण संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।

कला संग्रहालय होगा विश्व का एकमात्र अनोखा संग्रहालय : वैदेही परिक्रमा महोत्सव के संयोजक ने बताया कि मिथिला पेंटिंग में सीता जन्म से लेकर राम के अयोध्या वापसी के प्रसंगों पर आधारित चित्रकारी की परंपरा रही है। बांग्ला के पटुआ चित्र, उड़ीसा के पट चित्र, महाराष्ट्र की चित्रकथी तथा राजस्थान के पड़चित्रों में रामकथा रची जाती है। इन सभी चित्रकलाओं को कला संग्रहालय में संजोया जा रहा है।राम कथा से जुड़े वेश- भूषा, मुखौटे तथा चित्र कलाएं इस कला संग्रहालय का मुख्य आकर्षण होगा। कला संग्रहालय के परिकल्पक भारत के पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक प्रो डा ओम प्रकाश भारती ने बताया कि यह कला संग्रहालय विश्व का एकमात्र अनोखा संग्रहालय होगा, जहां रामकथा से जुड़ी कलावस्तुओं का एकसाथ प्रदर्शन किया जाएगा। यह संग्रहालय रामकथा और मिथिला के सांस्कृतिक अंतःसंबंधों को विशेष रूप से उद्घाटित करेगी। संग्रहालय के साथ रामायण शोध एवं प्रलेखन केंद्र तथा संदर्भ पुस्तकालय का निर्माण भी किया जा रहा है। संग्रहालय का विधिवत उद्घाटन 28 फरवरी 2020 को होगा. जिसके बाद यह दर्शकों के लिए खोल दिया जाएगा।

 प्रैस कान्फ्रेंस में प्रसिद्ध सिने अभिनेता राम बहादुर रेणु, बटोही के सचिव डा महेंद्र कुमार, रंगकर्मी अभिनेता सुभाष चंद्र आदि उपस्थित थे।


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