मधेपुरा : ‘शिक्षा, समाज एवं संस्कृति’ पर केन्द्रित होगा दर्शन परिषद् बिहार का 42 वां वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

12 से 14 दिसंबर 2019 को बीएनएमयू के दर्शनशास्त्र विभाग में होना सुनिश्चित

अधिवेशन में देश के कई प्रमुख विद्वान लेंगे भाग

शोध सार एवं शोध आलेख 30 नवंबर तक sudhan.ph@gmali.com पर भेजा जा सकता है

मधेपुरा/बिहार : दर्शन परिषद् बिहार का 42 वां वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन ‘शिक्षा, समाज एवं संस्कृति’ पर केन्द्रित होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा संपोषित यह आयोजन 12 से 14 दिसंबर 2019 को बीएनएमयू के दर्शनशास्त्र विभाग में होना सुनिश्चित है।

 कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय ने कहा है कि सम्मेलन में शिक्षा, समाज एवं संस्कृति के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श किया ज्एगा। इसी कड़ी में बिहार की दार्शनिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर भी गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। साथ ही ‘गांधी 150 : विमर्श एवं विकल्प’ विषयक विशेष संगोष्ठी आयोजित की जाएगी।  कुलपति ने कहा है कि गांधी ने दुनिया को सत्य एवं अहिंसा का रास्ता दिखाया है। इसी रास्ते पर चलकर देश-दुनिया का कल्याण हो सकता है। हमें गांधी के सपनों की दुनिया बनानी है।

बढ़ती जा रही है गांधी के विचारों की चमक : कुलपति ने कहा कि गांधी के जीवन-दर्शन का विस्तृत फलक है। इसके हर एक आयामों को लेकर देश-दुनिया में प्रयोग चल रहे हैं। स्वच्छता अभियान, मेक इन इंडिया, स्किल डेवलपमेंट, अर्न ह्वाइल लर्न आदि कार्यक्रम गांधी से ही प्रेरित हैं।  कुलपति ने कहा कि गांधी को 150 वर्ष हो गए, लोगों को लग सकता है कि गांधी की बात अब पुरानी हो गयी है। लेकिन सच्चाई यह है कि गांधी आज भी प्रासंगिक हैं। गांधी के विचारों की चमक बढ़ती जा रही है। दुनिया के युवा गांधी की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

अधिवेशन में देश के कई प्रमुख विद्वान लेंगे भाग : कुलपति ने कहा कि आज गांधी को अपनाना हमारी मज़बूरी हो गई है।  गांधी-दर्शन में ही आतंकवाद, पर्यावरण संकट, बेरोजगारी, विषमता, अनैतिकता आदि समस्याओं का समाधान है। गांधी के बताए रास्ते पर चलकर ही दुनिया का कल्याण हो सकता है। इसके मद्देनजर अधिवेशन में गांधी को केंद्र में रखकर विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। इसमें देश के कई प्रमुख विद्वान भाग लेंगे। इनमें हरदोई से डा आलोक टंडन, नई दिल्ली से किशन कालजयी, वाराणसी से डा विजयकांत दुबे, पटना से स्वयं प्रकाश, नालंदा से डा प्रभाष कुमार, मुजफ्फरपुर से डा सरोज कुमार वर्मा, दरभंगा से डा राजीव कुमार, बोधगया से डा शैलेन्द्र कुमार, मुंगेर से डा गिरीश चंद्र पांडेय, खगड़िया से डा ईश्वरचंद, भागलपुर से डा परमानंद सिंह, डा राजेश रंजन तिवारी, डा विजय कुमार, डा उमेश प्रसाद नीरज, डा अमित रंजन सिंह एवं डा शंभु पासवान के नाम शामिल हैं। इनके अलावा बीएनएमयू की ओर से खेल सचिव डा अबुल फजल भी इसमें अपना आलेख प्रस्तुत करेंगे।

30 नवंबर तक शोध-सार आमंत्रित : कुलपति ने बताया कि सम्मेलन में दर्शनशास्त्र सहित सभी विषयों के शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं और दर्शन में रूचि रखने वाले स्वतंत्र लेखक, पत्रकार, समाजकर्मी एवं आम नागरिक भाग ले सकते हैं। प्रति कुलपति प्रो डा फारूक अली ने ने बताया कि सम्मेलन के अवसर पर एक स्मारिका भी प्रकाशित की जाएगी। इसके लिए शोध-सार एवं शोध आलेख आना शुरू हो गया है। शोध सार एवं शोध आलेख 30 नवंबर तक sudhan.ph@gmali.com पर भेजा जा सकता है।

 आयोजन सचिव सह जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर ने बताया कि सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए चुनिंदा आलेखों को पुरुस्कृत भी किया जाएगा। साथ ही उसे परिषद् की शोध-पत्रिका ‘दार्शनिक अनुगूंज’ में निःशुल्क प्रकाशित किया जाएगा।


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