मधेपुरा : भारतीय सभ्यता संस्कृति को बचानी है तो हमें जागरूक होना पड़ेगा- विनोद ग्वार-सूफी गायक

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : जब मैं फिल्मों में आया था तक हर गाने में ढाई ढाई सौ संगीताकार काम करते थे। लेकिन आज ढाई संगीताकार भी काम नहीं करती है। दुर्भाग्य की बात है कि वादयंत्र खत्म होते जा रहा है। म्यूजिक डायरेक्टर एक वादयंत्र पर सारे गाने कर देते हैं। हमारा संगीत सीख कौन रहा है।

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हमारे संगीत एवं वादयंत्रों को विदेशों में अपनाया जा रहा है। एक समय ऐसा भी आयेगा जब विदेशों में हमारे संगीत एवं वादयंत्रों को वो अपना कहेंगे और हमें झुनझुना थमाएंगे। कबीरा एवं मीरा सहित अन्य पुरानी चिजों को अपनाता हूं।

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हमें अपने सभ्यता संस्कृति को बचानी है तो हमें जागरूक होना पड़ेगा। बातचीत के दौरान सूफी गायक विनोद कुमार यादव उर्फ विनोद ग्वार ने कही।   उन्होंने कहा आज लोग बच्चे को कोई भी स्टूमेंट नहीं सिखा रहें है। उन्हें लगता है यह सीख कर हमें क्या मिलेगा। क्योंकि गानों से भी वाद यंत्र गायब चुके है। जाति कोई विशेष नहीं होता है। हमेशा कर्म विशेष रहा है। खासकर मुंबई जैसे महानगर में कर्म को ही पूछा जाता है न कि किसी जाति को पूछा जाता है।


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