उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : देश को एक सूत्र में पिरोने वाली सोच और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक, देश जिन्हें लौह पुरुष के नाम से जानता है। जिनकी कूटनीति ने आजादी के बाद बिखरे अलग अलग रियासतों को जोड़कर पूरे हिंदुस्तान को एक राष्ट्र के रूप में सुसज्जित किया। किसानों को कर न देने के लिए प्रेरित किया। महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। ऐसे महापुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती उदाकिशुनगंज प्रखण्ड क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर 31 अक्टूबर को मनाई गई।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा का प्रमुख स्त्रोत स्वाध्याय था। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और उसके बाद पुन: भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की। सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पहले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।