भोजपुरी की लोक गायिका  देवी का दिल आया ब्रजिलियन लड़के पर

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

भोजपुरी लोक गायकी में अपने अनूठे अंदाज के कारण सशक्त पहचान बनाने वाली छपरा की लोक गायिका देवी शादी करने जा रही हैं और उनका दूल्हा बनेगा ब्राजील का एक बिजनेसमैन इस बात का खुलासा खुद देवी ने हीं किया है.

बिहार के छपरा जिले की निवासी भोजपुरी गायिका  देवी का दिल ब्राजील के एक लड़के पर आ गया है. लड़के का नाम है- फैब्रिसियो. देवी ने कहा है कि अगर सब ठीक रहा तो दोनों शादी भी कर लेंगे. देवी ने यह भी कहा है कि वे साथी में विश्वास करती हैं, शादी में नहीं.

“द रिपब्लिकन टाइम्स” के स्थानीय संपादक सह वरिष्ठ पत्रकार  अनूप नारायण सिंह से बात करते हुए देवी ने कहा कि उन्हें वेस्टर्न कल्चर पसंद है जहां एक दूसरे को जानने और पसंद करने के बाद लोग वैवाहिक बंधन में बंधते हैं.देवी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे तेजप्रताप और ऐश्वर्या की शादी के बाद मचे घमासान का उदाहरण भी दिया.

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उन्होंने कहा कि अगर तेजप्रताप और ऐश्वर्या एक-दूसरे को पहले से समझ रहे होते तो शायद ऐसे हालात नहीं पैदा होते. बिहार की मशहूर लोक गायिका ने कहा कि शादी के पूर्व एक दूसरे को समझना काफी जरूरी है. देवी ने बताया कि एक साल पहले फैब्रिसियो से उनकी दोस्ती हुई थी. दोनों में नजदीकियां बढ़ चुकी हैं और शादी का निर्णय भी ले चुके हैं.

ऋषिकेश में देवी म्यूजिक आश्रम भी खुला है जहाँ कत्थक, क्लासिकल गाने, योगा और मेडिटेसन के क्लासेस लगते हैं. संस्था की देखरेख उनकी बहन नीति करती हैं. वहां बहुत ही कम लागत पर ये सब सिखाया जाता है. अपने होने वाले जीवनसाथी से देवी पहली बार इसी आश्रम में मिली थी.2012-13 में देवी ने एक हिंदी मूवी प्रोडूस की ‘जलसा-घर की देवी’ जिसमे मुख्य किरदार भी निभाया था. फिल्म में रविन्द्र जैन जी का संगीत था. भले ही ये मूवी उतनी कमर्शियली सक्सेस नहीं कर पायी लेकिन तारीफें-सराहना हर तरफ से मिली. एक और फिल्म ‘गंगा किनारे प्यार पुकारे’ जिसमें में देवी ने सेकेण्ड लीड रोल  निभाया.देवी की स्कूल कॉलेज की पढ़ाई छपरा होम टाउन में ही हुई. सिवान के विद्या भवन महिला कॉलेज से ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर उन्होंने दिल्ली के गन्धर्व संगीत महाविधालय से संगीत की तालिम हासिल की. इसके बाद उन्ळोंने श्री राम कला केंद्र से कत्थक की शिक्षा ली. गायन का शौक होने की वजह से बहुत छोटी सी उम्र में ही गायन शुरू कर दिया था. घर में उनकी परवरिश अच्छे से हुई, पापा सुलझे विचारों के थे लिहाजा, बच्चों में जिसको जो रूचि थी उसमें ही उन्होंने बढ़ावा दिया. देवी बताती हैं, ‘मुझे भी पापा ने काफी प्रोत्साहित किया.स्कूल-कॉलेज स्तर पर जब भी छपरा में कोई सिंगिंग कम्पटीशन होता पापा मुझे वहां ले जाते.और मैं वहां उन्हें अपने प्रदर्शन से नाराज भी नहीं करती थी. फिर पता ही नहीं चला धीरे धीरे कब ये शौक जूनून का रूप ले उनका करियर बन गया. एक दिन अचानक म्यूजिक एल्बम निकालने का आईडिया आया. उसके लिए देवी ने दिल्ली जाकर काफी स्ट्रगल किया. तब टी-सीरीज ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया. इस बीच उनके गाए लोक गीतों का एक एल्बम ‘पुरबा बयार’ एक छोटी सी कंपनी द्वारा निकाला गया.

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यह एल्बम मॉउथ पब्लिसिटी से चल निकला. इसके बाद क्या था. हम दोनों की चल निकली. म्यूजिक कम्पनी भी स्टेब्लिश हो गयी. इसके बाद बहुत जल्द ही टी-सीरीज ने उन्हें बुला एक एलबम तैयार करवाया. टी-सीरीज से उनका पहला सुपरहिट एल्बम आया ‘अईले मोरे राजा’ ये एल्बम इतना ज्यादा हिट हुआ की टी-सीरीज के अलावा और कई कम्पनियों की लाइन लग गयी. उसके बाद उन्हें स्ट्रगल नहीं करना पड़ा. फिर तो एक के बाद एक एल्बम और स्टेज शो मिलने लगे. राजधानी पकड़ के आ जइहो, यारा, बावरिया, शेरावाली, फिर तेरी याद आई, और छठ एवं दुर्गापूजा के ऊपर बहुत से भक्ति एल्बम खास रहे.


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