180 मिलियन दंपति निःसंतानता से ग्रसित: विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

मोतीहारी में आईवीएफ केन्द्र की स्थापना से मरीजों को मिलेगा लाभ
पटना/मोतीहारी/बिहार : एक दम्पति के लिए मां-बाप बनना उनके जीवन का अनमोल क्षण होता है, लेकिन कभी-कभी काफी प्रयासों के बाद भी वे अपने घर के आंगन में बच्चों की किलकारियों को सुनने से वंचित रह जाते हैं। 2018 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में लगभग 180 मिलियन दंपति निःसंतानता से जूझ रहे हैं। बांझपन की समस्या समय के साथ बड़ी और गंभीर रूप लेती जा रही है।

ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि दंपतियों को यह पता ही नहीं चल पाता कि वो किस वजह से निःसंतानता से पीड़ित है। लेकिन कुछ संस्थाएं ऐसी हैं जो निःसंतानता के बारे में तेजी से जन जागरूकता बढ़ा रहे हैं और उनको इन विषम परिस्थितियों में सही राह दिखाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था है इन्दिरा आईवीएफ, जिसके चेयरमैन डाॅ. अजय मुर्डिया ने पूरे देश में आईवीएफ की लहर चला दी है। आज उनके और उनकी टीम के अथक प्रयासों से अब तक 48500 से अधिक दंपति पूरे देशभर से इलाज लेकर लाभान्वित हो चुके हैं। देशभर में 71 आईवीएफ हाॅस्पिटल खोलकर देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चेन होने का गौरव भी इसी संस्था को प्राप्त है। इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप में 180 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सक, 125 एम्ब्रियोलाॅजिस्ट और 2000 से अधिक स्टाॅफ अपनी सेवाएं दे रहा है। हाल ही में मोतीहारी में भी नवीनतम केन्द्र की शुरूआत की गयी है। बिहार मंे इन्दिरा आईवीएफ के भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पटना, बेगुसराय के बाद मोतीहारी में पांचवा सेंटर है।
इन्दिरा आईवीएफ पटना के चीफ एम्ब्रियोलाॅजिस्ट डाॅ. दयानिधि शर्मा ने कहा कि आईवीएफ कराने से पहले दंपति को मानसिक रूप से मजबूत रहना चाहिए एवं डाॅक्टरी सलाह के अलावा दूसरी अफवाहों और भ्रंातियों से दूर रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि इन्दिरा आईवीएफ का एक ही मिशन है पूरे देश में निःसंतानता के प्रति जनजाग्रति लाते रहना एवं हर निःसंतान दंपति के सूने घर आंगन में किलकारी गुंजाना। भारत में संतान की इच्छा रखने वाले 15 फीसदी दम्पती बांझपन से प्रभावित हैं, बांझपन के कारण परिवारों में बिखराव बढ़ रहा है जबकि आईवीएफ तकनीक उपलब्ध जिसका मात्र एक प्रतिशत दम्पती ही लाभ उठा पाते हैं।
इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के लेब डायरेक्टर नितिज मुर्डिया ने कहा आईवीएफ की सफलता दर बहुत कुछ लेब, भ्रूण वैज्ञानिक एवं महिला की उम्र पर भी निर्भर करती है। उन्होंने कहा अगर महिला की उम्र बहुत ज्यादा है, उसका वजन अधिक है, गर्भाशय में प्राॅब्लम है, अण्डे की गुणवत्ता खराब है इत्यादि कारण भी बहुत कुछ आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित करते हैं।
इन्दिरा आईवीएफ हाॅस्पिटल मोतीहारी की निःसंतानता एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डाॅ. पुनिता कुमारी ने कहा कि निःसंतानता लाइलाज नहीं है अपितु समय पर सही मार्गदर्शन और इलाज मिल जाए तो इसका समाधान संभव हो सकता है।
निःसंतानता के कारण – शहरीकरण, पर्यावरणीय एवं जीवनशैली फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाले कारक हैं। पर्यावरणीय कारण में मिलावट, रासायनों का शरीर में जाना, प्रदूषित पानी एवं हवा है वहीं जीवनशैली के कारकों में तनाव, जरूरत से ज्यादा काम, कुपोषण, मोटापा, एल्कोहल, धूम्रपान देर से शादी होना व यौन संक्रमित बीमारियां गोनोरिया आदि है। भारतीय महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में पीसीओएस, मोटापा, गर्भाशय की अंदरुदनी परत (एंडोमीट्रियम) के गर्भाशय की दीवार के भीतर जाने से हुई सूजन, ट्यूब में ब्लॉकेज आदि है।
पुरुषों में निःसंतानता की वजह शुक्राणुओं की कमी होना, गति कम होना, बनावट में विकार और निल शुकाणु । महिलाओं तथा पुरूषों की विभिन्न समस्याओं में आई वी एफ तकनीक कारगर है ।


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