⇒ वर्ष 2008 के कुसहा त्रासदी के प्रलयंकारी बाढ में बह गए थे पुल और पुल से सटे 200 मीटर एप्रोच सड़क
⇒ बरसात के दिनों में हर वर्ष सङक पर पानी के बहाव से ठप हो जाती है यातायात, भंग हो जाता है अनुमंडल मुख्यालय से संपर्क
⇒ ग्रामीण चंदा कर, श्रमदान कर हर वर्ष सङक को बना लेते हैं चलने लायक
⇒ आस-पास के गाँवों के लगभग 50 हजार लोगों का अनुमंडल मुख्यालय आने जाने का मुख्य मार्ग ठप
⇒ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियो के मौन के प्रति लोगों का बढा आक्रोश

संवाददाता
बिहारीगंज, मधेपुरा