मधेपुरा नगर परिषद् : मुख्य पार्षद के विरुद्ध लाये गए अविश्वास प्रस्ताव सवालों के घेरे में, चुनाव प्रभारी पर भी लगे संगीन आरोप 

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : विगत दिनों स्थानीय नगर परिषद् के मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के विरुध्द लाये गए अविश्वास प्रस्ताव के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। इस मामले में नगर परिषद् मधेपुरा की पूर्व मुख्य पार्षद सुधा कुमारी और उप मुख्य पार्षद अशोक यदुवंशी ने आज एक प्रेस वार्ता कर पूरी चुनाव प्रक्रिया पर ना सिर्फ सवालिया निशान लगाया बल्कि लाये गए अविश्वास प्रस्ताव को विरोधी दल और पदाधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा बताते हुए चुनाव प्रभारियों पर गंभीर आरोप लगाया है ।

  प्रेसवार्ता के दौरान पूर्व मुख्य पार्षद सुधा कुमारी और उप मुख्य पार्षद अशोक यदुवंशी ने संयुक्त रूप से बताया कि मधेपुरा नगर परिषद् में वार्ड पार्षदों के द्वारा दिनांक 25.06.2019 को मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद ऊपर सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। ये कार्यक्रम पहले से तय था और नगर परिषद् के पदाधिकारियों के द्वारा इस अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी पूर्व ही कर ली गई थी। तयशुदा तारीख को मतदान की स्थिति आई जिसकी जानकारी और नियम, मतदान के लिए नियुक्त चुनाव प्रभारी के रूप में कार्यपालक पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी सदर, मधेपुरा के द्वारा सदन में उपस्थित नगर परिषद् के 26 में से कुल 16 वार्ड पार्षदों को दी गई। सदन में उपस्थित 16 वार्ड पार्षदों में से वार्ड संख्यां 10 के वार्ड पार्षद चन्द्रकला देवी अविश्वास प्रस्ताव हेतु सदन की अध्यक्षता कर रही थी। अविश्वास प्रस्ताव के दिन स्थिति की जानकारी स्वंय मधेपुरा अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा भी नगर परिषद के सभागार में पहुंचकर ली गई, जहाँ यह कारवाई शुरू होनी थी।

सदन में उपस्थित पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद नियुक्त चुनाव पदाधिकारियों के द्वारा तत्कालीन मुख्य पार्षद, और उप मुख्य पार्षद, दोनों के पक्ष और विपक्ष के लिए अलग-अलग मतपेटी में मतदान कराया गया।

पूर्व मुख्य पार्षद ने बताया कि सर्वप्रथम मुख्य पार्षद पद के मतपत्रों की गिनती हुई, जिसमें कुल 15 मतपत्रों में से एक मतपत्र सादा और एक अवैध घोषित किया गया। इस तरह मेरे ऊपर लगाये अविश्वास को पदाधिकारियों के द्वारा ख़ारिज कर दिया गया और मुझे अपने पद पर बने रहने का हकदार बताया। ऐसा उस स्थिति में हुआ जब इस दो अवैध मतपत्र के अलावे एक और गलत चिन्ह के मतपत्र पर संसय बरकरार रहा, जिसपर सदन में मौजूद उप मुख्य पार्षद के द्वारा सवाल भी उठाया गया। मगर वहां उत्पन्न हंगामे के कारण उसे पदाधिकारियों ने आनन्-फानन में वैध ठहराया था। इसके बावजूद भी मेरे ऊपर बहुमत से अविश्वास लागाने में विरोधी दल नाकाम रहे। इसकी घोषणा भी तत्काल ही दोनों पदाधिकारियों द्वारा कर दी गई । जिसकी सत्यता मेरे पास उपलब्ध वीडियो फुटेज से की जा सकती है। जिसके बाद उपाध्यक्ष पर हुए अविश्वास मतदान की मतों की गिनती की गई जिसमें उप मुख्य पार्षद अशोक यदुवंशी पर भी अविश्वास लगाने में विरोधी नाकाम रहे और उनके भी विरोध पत्र 13 ही गिरे। इस तरह मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद अपनी-अपनी कुर्सी बचाने में सफल हुए। मगर इस घोषणा के बाद सदन के अन्दर कुछ पार्षदों द्वारा हंगामा शुरू कर दिया गया और पदाधिकारियों पर अनावश्यक दवाब बनाया जाने लगा। उनलोगों के द्वारा नियम के विपरीत सदन की कार्यवाहक अध्यक्ष से भी मतदान कराने की मांग बलपूर्वक होने लगी। लगभग तीन घंटों के बाद विरोधियों और पदाधिकारियों की मिलीभगत से नियम और चुनाव संहिता के विरुध्द पुन: गिनती की गई, मतपत्रों को मतपेटी में सबके सामने डाला गया और अध्यक्षता कर रही वार्ड पार्षद चंद्रकला देवी से असंवैधानिक तरीके से मत डलवाया गया।

श्री कुमारी ने सीधे तौर पर कहा कि नियम के विरुध्द साजिशन मुझे दोबारा मतदान कराकर हराया गया। हमारे पास इस पूरी चुनाव प्रक्रिया का वीडियो रिकार्ड और सीसीटीवी फुटेज उप्लाब्च है जो पूरी चुनाव प्रक्रिया को असंवैधानिक साबित करने हेतु काफी है। उपलब्ध वीडियो फुटेज, चुनाव प्रोसिडिंग की कॉपी को देखने के बाद बिलकुल प्रतीत हो रहा है कि मुझे साजिशन हारने के लिए पूरी चुनावी प्रक्रिया को गलत तरीके से कराया गया।

उन्होंने ने बाताया कि मैं इस मामले में कई साक्षों के साथ चुनाव परिणाम और प्रक्रिया को लेकर उच्चन्यायालय, पटना में याचिका दायर कर चुकी हूँ, साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग, मुख्यमंत्री बिहार, प्रधान सचिव बिहार सरकार, केन्द्रीय निर्वाचन आयोग, पुलिस महानिदेशक बिहार, के साथ-साथ जिला पदाधिकारी मधेपुरा को भी शिकायत पात्र प्रेषित कर चुकी हूँ।


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