मधेपुरा/बिहार : जिले भर में वट सावित्री पर्व आस्था के साथ मनायी गयी। सुहागिनों ने विधि विधान के साथ वट वृक्ष की पूजा कर पति के दीर्घ आयु की कामना की।
ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को मनाये जाने वाले वट सावित्री पर्व के लिए सुहागिनों ने दिन भर व्रत रख कर नव वस्त्र धारण कर आभूषण से सुसज्जित हो कर पूजन किया। इस पूजन में सुहागिन वट वृक्ष के नजदीक पूरब या उत्तर मुंह बैठ कर पहले मंत्रोच्चारण के साथ वट वृक्ष के जड़ को सींच कर कम से कम पांच बार वट वृक्ष के चारों तरफ धागा लपेट कर वट वृक्ष की प्रदक्षिणा करती हैं। बांस की बीनी से जल को सिक्त कर नाना प्रकार के फल एवं मिठाइयों की प्रसाद चढ़ा कर पूजा अर्चना की जाती है। बीनी से वट वृक्ष को हवा कर सावित्री की कथा श्रवण की जाती है। सुहागिन बीनी से अपने पति को हवा दे कर पेड़ के अंगूठे का चरणामृत लेती है। इसके बाद अरबा भोजन ग्रहण करती हैं।
खास कर नव विवाहिताओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है।