मधेपुरा : अलविदा जुमा पर शहर के जामा मस्जिद में पढ़ी हजारों मौमिनों ने नमाज, देश में अमनो-अमान की मांगी दुआ

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : जिला मुख्यालय समेत जिले के सभी प्रखंडों में रहमतों, बरकतों, नमाजों, तिलावतों और इबादतों से सजा महीना माहे-ए-रमजान के अंतिम जुमा, यानि अलविदा जुमे की नमाज लाखों मुसलमानों ने पुरे अकीदे और एहतराम के साथ अदा कर देश में अमनों-अमान की दुआ मांगी।

 इस मौके पर जामा मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना मुस्तकीम ने खुतबे में कहा कि सभी दौलतमंदों को ईद की नमाज से पहले गरीबों को सदका और फितरा अदा करना चाहिये ताकि गरीब परिवार भी ईद की ख़ुशी महसूस कर सके। उन्होंने कहा कि यह महीना  अल्लाह का शुक्र अदा करने का महीना है। जिसने हमें यह मुबारक महीना दिया। हमने नमाजें पढ़ी, रोजे रखे, तरावीह और शबीने पढ़े। इस सबका सवाब रमजान के महीने में आम दिनों से हजारों गुना ज्यादा है। साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि ईद की नमाज शहर के ईद गाह में सुबह 8:30 बजे और जामा मस्जिद में 9 : 00  बजे अदा की जाएगी  ।

अलविदा जुमे की नमाज के बाद रोजेदार हुए गमगीन
जुमा-तुल-विदा यानि अलविदा जुमे की नमाज के बाद रोजेदार गमगीन दिखे  क्योंकि रहमतों का यह दौर थमने वाला है और माह-ए-रमजान पूरा होने को है। अब एक साल इंतेजार करना होगा इस रहमत, बरकत व मगफिरत के माह का। शुक्रवार को अलविदा जुमे की नमाज को लेकर सुबह से ही लोगों में एक अलग ही जोश और ख़ुशी दिखाई दिया। मस्जिद में नमाज के अजान से पहले ही भीड़ लगनी शुरू हो गयी। वहीं सभी मस्जिदों में नमाज के लिये विशेष व्यवस्था व आसपास साफ-सफाई की गयी। बच्चे, बूढे, नौजवान सभी के आंखें जहां रहमत वाले इस महीने को अलविदा कहकर नम थी, वहीं ईद की खुशी व तैयारी की झलक भी दिखाई दे रही थी।

रोजा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है
रोजे का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह शरीर के लिए फायदेमंद है। डॉक्टरों के अनुसार इस संयमित उपवास से पाचनतंत्र दुरूस्त हो जाता है। धार्मिक पक्ष यह है कि रमजान के महीने भर की कठिन साधना से इंसान अल्लाह का नेक और फरमाबरदार (आज्ञाकारी) बंदा बनने की कसौटी पर खड़ा उतर सकता है। इस्लाम के पांच फर्जों में से रोजा एक है।

रमजान के पूरे महीने में रोजा उपवास रखना
इस महीने का कोई भी अमल यूं ही नहीं है। हर अमल में खास संदेश छुपा है। रमजान के पूरे महीने में रोजा यानी उपवास रखने का सामाजिक पक्ष यह है कि खुद को भूखे-प्यासे रखने से हमें गरीबों की भूख का एहसास होगा। हम जब भूख और प्यास की शिद्दत को अपने-आप पर महसूस करेंगे तो हमारे अंदर गरीब-बेसहारों की मदद का जज्बा जगेगा। रमजान समाजवाद की जबर्दस्त हिमायत करता है।

रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया
रमजान के महीने को तीन अशरों (अवधियों) में बांटा गया है। पहली 10 दिनों की अवधि- रहमत की कहलाती है, यानी शुरू के 10 दिनों में बंदों पर खुदा की रहमत बरसती है। 10 दिनों का दूसरा अशरा मगफिरत का होता है। इसमें नेक बंदा अपने गुनाहों की जो भी माफी मांगता है, उसे अल्लाह कबूल फरमाते हैं। आखिरी अशरा निजात यानी जहन्नुम से छुटकारे का होता है। इस तरह देखा जाए तो रमजान का पूरा महीना अल्लाह की रहमतों से भरा है। वही रमजान को लेकर स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क है।   ईंद को लेकर मस्जिदों में भी तैयारी की जा रही है। ईद का पर्व रमजान के पूरे रोजे के बाद खुशियों के रूप में मनाया जाता है।

 इस्लाम धर्म का पवित्र माह है रमजान
प्रखंड के मुरलीगंज, उदाकिशुनगंज, बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा, चौसा, पुरेनी, घैलाढ़, सिंहेश्वर, शंकरपुर सहित अन्य जगहों पर मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए भीड़ लगी रही। इमाम ने बताया कि रमजान का महीना इस्लाम धर्म का पवित्र महीना माना जाता है। पुरे माह पवित्रता के साथ रोजे रख कर और शाम में अल्लाह की इबादत कर उपवास तोड़ते हैं और जल ग्रहण करते हैं। उन्होंने बताया कि इस माह में दान का बड़ा महत्व है। दान गरीब तबके के कल्याण और सेवा के लिए किया जाता है।

रोजा इस्लाम की पांच रत्नों में से एक
रोजा इस्लाम की पांच रत्नों में से एक है। इस्लाम धर्म में पांच बुनियादी चीजें, तौहीद, नमाज, रोजा, जकात एवं हज। रोजा फजल – ए – खुदाबंदी का चमकता हक अदा करती है। हदीश में कहा गया है की इस माह में बंदो द्वारा एक नेकी करने से उसे 70 नेकियों के बराबर सबाब मिलता है। रमजान माह सब्र का महीना होता है, जो आदमी सुबह से शाम तक खाने पीने या किसी भी ख्वाहिस से बचा रहा और सब्र के साथ सबाब के उम्मीद से जिसने भी रोजा किया उसे जन्नत नसीब होती है। रोजा को सिर्फ इस्लाम के अंदर ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम मजाहीब के अंदर एक अहम मुकाम हासिल है। दुनिया के तमाम मजाहिब के लोग रोजा रखते है। यही वजह है की अल्लाह नें रोजा के बदले अपने आप को पेश कर दिया है।

बढने लगी है बाजार की रौनक
ज्यों – ज्यों रमजान नजदीक आते जा रहा है त्यों त्यों बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है। सेवईयों की दुकान के अलावा कपड़ों की दुकनों में भी नये स्टॉक्स मंगाये जा रहे हैं। ईद की रौनक अब दिखने लगी है। इसके अलावा शाम में इफ्तार को लेकर मुहल्लों में भीड़ दिख जा रही है। धीरे-धीरे जिले में इफ्तार पार्टियां भी आयोजन को लेकर लोगों में चर्चा का विषय है।इसके लिए विभिन्न संगठनों ने तैयारी भी शुरू कर दी है।


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