सुपौल : लोकसभा चुनाव में NOTA बटन दबाने का निर्णय, सौतेला रवैये से अल्पसंख्यक आबादी में सख्त नाराजगी

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इरशाद आदिल 
संवाददाता
छातापुर, सुपौल

छातापुर/सुपौल/बिहार : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार के सुपौल में 23 अप्रैल को मतदान होना है, इसे लेकर जिले में नामांकन प्रक्रिया थम गई है, कुल 24 उमीदवार नामांकन दर्ज कर चुके है। वहीं, अब शहर के साथ-साथ गांवों में भी चुनावी मुद्दे उठने लगे है। कहीं विभागीय लापरवाही के कारण लोग खफा होकर मतदान का बहिष्कार करने का मन बना लिए हैं। तो कहीं विकास कार्य नहीं होने से नाराज ग्रामीण इस चुनाव में NOTA बदन दबाने का निर्णय ले लिया है।

सुपौल जिले छातापुर प्रखंड क्षेत्र के घिवहा पंचायत में पिछले 5 साल में जो विकासात्मक कार्य हुए उससे यहां के ग्रामीण संतुष्ट नहीं है। स्थानीय ग्रामीण स्थानीय ग्रामीण मो मुख्तार, मो आबिद हुसैन, मो करीमुल्लाह, मो अजीमुल्लाह, मो सुलेमान, डॉ गणेश शर्मा, मो नौशाद आदिल, मौलाना अब्दुल जलील, मो जियाउल्लाह, मो फारूक, मो तस्लीम, मो इरशाद, जमिलअखतर, मो सत्तार आदि ने बताया कि देश की आजादी के 71 साल बाद भी यहां आजतक पक्की सड़क तक बन पाई, जिसपर लोग सुगम यातायात कर बाजार तक पहुंच सके। घिवहा पंचायत के वार्ड नंबर 1 के इस नजारे को भी देख लीजिए…कि आखिर क्यों और कैसे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इतने नाराज हैं, नाराजगी इतनी कि अबकी बार लोकसभा चुनाव में ग्रामीणों ने संयुक्त रुप से NOTA बटन दबाने का निर्णय ले लिया है।

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दरअसल इस गांव में आजतक पक्की सड़क, स्वच्छ पेयजलापूर्ति और अस्पताल जैसी मूलभूत समस्या बनी हुई है। ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव में एक उर्दू स्कूल है, जिसमें पिछले 15 साल में एक उर्दू शिक्षक की पदस्थापना नहीं हो सकी। किसी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अमला इस गांव में विकासात्मक कार्य के प्रति दिलचस्पी नहीं ली। बहरहाल ग्रामीणों में न केवल सांसद के प्रति बल्कि चुनावी एजेंडा में लापरवाही को लेकर भी भारी आक्रोश है।


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