मधेपुरा/बिहार : मानवता, इंसानियत, लोकतंत्र और देश के सवालों पर मेरे जैसे व्यक्ति की बली हो तो ठीक है लेकिन यह बचनी चाहिए। 28 दिनों से जितना अपमान हमने झेला मुझे लगता है कि जितना भी अपमान मुझे झेलना पड़े वह मैं झेलूंगा, किसी भी परिस्थिति में। मुझे कहा गया कि अपना रिश्ता, माटी, मां को छोड़ दो, मैंने कहा छोड़ दूंगा, मुझे कहा गया कि मधेपुरा छोड़ दो, पूर्णिया छोड़ दो, खगड़िया चले जाओ। मुझे अपनी ही मिट्टी अपनी धरती अपनी मां से अलग करने की कोशिश की गई। और जिनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है, जो व्यक्ति गरीब युवाओं को पहचानना तक उचित ना समझता हो, जिसे गरीबों का शरीर एवं कपड़े गंध लगते हो। वैसे को इवेंट्स मैनेजमेंट के तहत उम्मीदवार बनाया गया। देश की सभी पार्टियां अब डेमोक्रेटिक पार्टी नहीं रह गई है। सभी पार्टी अब इवेंट्स मैनेजमेंट हो गई है। इवेंट्स मैनेजमेंट के तहत यह लोग जनता को हांकते हैं।
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उक्त बातें जिला मुख्यालय के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित जाप नेता ललटू यादव के आवास पर प्रेस वार्ता के दौरान मधेपुरा लोकसभा सांसद सह जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कही। उन्होंने कहा कि मेरे लिए जनता मेरा भगवान है, जनता ही मेरा परिवार है। और इन लोगों के लिए जनता इवेंट्स मैनेजमेंट का एक औजार है। सांसद ने कहा कि सब अपमान के बाद मुझे लगा कि अब मेरी मिट्टी मेरी मां और मेरा भाई ही तय करेगा कि इवेंट्स मैनेजमेंट दिल्ली और पटना सही है कि कोसी की मिट्टी और हमारी मां और हमारी मां का घर और आंगन सही है।
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उन्होंने कहा कि सेवा, मदद, और लोगों की भाले के लिए लगातार संघर्ष करना सही है या फिर उन्मादी गठबंधन सही है। यह कोशी की जनता तय करेगी। हमने एक मुकम्मल आजादी की लड़ाई की शुरुआत मधेपुरा से की है। वहीँ पुरनियाँ से चुनाव लड़ने के सवाल पर पप्पू यादव ने कहा कि 15 साल तक दूर रहने के बावजूद आज भी मैं पुर्नियावासियों के दिलों में हूँ, पूर्णिया की जनता के द्वारा मुझे बार-बार वहां बुलाया जा रहा है। लेकिन मुझे लगा कि जहां मैंने जिंदगी को पांच साल दिया है, जहां मैंने हर घर से रिश्ता बनाया है, जहां मैंने एक परिवार बनाया है, जहां मैंने एक बेटे की तरह पैर छूना और हाथ जोड़ना सीखा है, मैं उस जगह से दूर नहीं हो सकता हूं। अगर मैं भी यहां छोड़ देता हूं तो मधेपुरा और हर घर में कौन रहेगा, हर घर का आंसू कौन पोछेगा? यहां की सेवा कौन करेगा? फिर सेवा आश्रम कहां होगा? फिर लोगों के रहने के लिए रेन बसेरा कहां होगा? फिर एक सेवक कौन होगा? फिर लोगों के लिए मरने की हिम्मत किसकी होगी?
सांसद पप्पू यादव ने कहा कि सभी स्थिति को देखते हुए मैंने निर्णय लिया की हर परिस्थिति में मधेपुरा का जो सेवक है वह मधेपुरा का ही सेवक रहेगा। जिसने पांच साल सर पर बोझा ढो कर बाढ़ और तूफानों की बीच हर घर से रिश्ता बनाया है। जाति धर्म और मजहब को समाप्त कर इंसानियत को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि देखना है हमें की जाति धर्म मजहब नफरत का गठबंधन जीतता है या फिर से, मदद, संघर्ष और अंतिम व्यक्ति के लिए न्याय करने वाला जीतता है। यह जीत हार पप्पू की नहीं है, यह जीत हार कोसी की है।
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