सुपौल : मुस्लिम विरोधी है बिहार सरकार और उसकी पुलिस, थर्ड डिग्री देकर कस्टडी में दो युवक की हत्या सुशासन के मूंह पर तमाचा-खलीकुल्लाह अंसारी

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इरशाद आदिल 
संवाददाता
छातापुर, सुपौल

छातापुर/सुपौल/बिहार : पूर्वी चम्पारण के चकिया थाना क्षेत्र के रमडीहा निवासी मो0 मैनुल के पुत्र मो0 गुफरान व मो0 तसलीम को डुमरा थाना पुलिस ने बीते मंगलवार को हिरासत में लेकर पुछताछ के दौरान थर्ड डिग्री का प्रयोग कर दोनों युवक को मौत के घाट उतार दिया। जो ना सिर्फ पूरी इंसानियत नवाज के मुंह पर तमाचा है बल्कि सुशासन के मुंह पर भी बड़ा तमाचा है।

उक्त बातें खादिम-ए-मजलिस खलीकुल्लाह अंसारी ने छातापुर में कही। उन्होंने कहा कि दोनों युवक के परिजन का कहना है कि पुलिस ने उनके बेटे को जबरन आरोप कबूल करने के लिए थर्ड डिग्री देकर मारा है। दोनों युवक को पुलिस ने इस कदर पीटा के दोनों कोमा में चले गए और फिर 15 मिनट के अंदर ही दोनों युवक ने दम तोड़ दिया। मामला काफी अफसोसनाक है  आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लमीन युवक की हत्या पर कड़ी निंदा व्यक्त करता है और बिहार के मुखिया नीतीश कुमार एवं जिला पुलिस कप्तान से यह माँग करता है कि सभी दोषी पुलिस वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर 24 घंटे के अन्दर जेल में डाले । सस्पेंड से काम नहीं चलेगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो फिर पूरे बिहार में अल्पसंख्यक विरोधी सरकार के विरोध में आन्दोलन की शुरूआत की जाएगी। ।

श्री अंसारी ने आगे कहा कि पहले ही नीतीश कुमार की सरकार सितामढ़ी दंगा पर चुप्पी साध मुसलमानों पर हुए आतंक को दबाने का नंगा खेल खेल चुकी है। इतना ही नहीं पिछले दिनों हुए दंगा में जैनुल अंसारी की सरेआम हत्या को भी नीतीश कुमार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जिससे पूरे अल्पसंख्यक समुदाय में राज्य सरकार और सरकार के मुखिया नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रोश देखा जा रहा है। पिछले कुछ महिनों से सितामढ़ी के अल्पसंख्यकों पर एकतरफा हमला किया जा रहा है, लगातार लिंचिंग में लोगों को मारा जा रहा है, दंगा के नाम पर दुकाने, मकानें जलाई और लूटी जा रही हैं फिर भी नीतीश कुमार की सरकार खुदको अल्पसंख्यकों की हितैषी बताती है ।
पूरे बिहार के अल्पसंख्यकों में यूपी सरकार के तर्ज पर नीतीश सरकार ने भी काम शुरू कर दिया है जिससे बिहार के अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल पैदा हो गया है यही कारण है कि अल्पसंख्यक समुदाय खुदको असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। सरकार अगर वाकई अल्पसंख्यकों की हितैषी है, बिहार में कानून का राज, न्याय के साथ विकास का दावा करती है तो सितामढ़ी दंगाईयों पर कानूनी कार्रवाई करे, मो0 तसलीम, मो0 गुफरान एवं जैनुल अंसारी के हत्यारे पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर सभी दोषियों को जेल में डाले। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है और अल्संख्यकों के अन्दर पनप रहे भय और डर के माहौल को नहीं रोका तो आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 के विधानसभा चुनाव में नुकसान भुगतने को तैयार रहे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर इस खुशफहमी में है कि बलियावी, खुर्शीद आलम, अब्दुल कैयूम जैसे लोगों को अपनी पार्टी में जगह देकर अल्पसंख्यक को मुर्ख बनाकर अल्पसंख्यकों को 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के विधानसभा चुनाव में फिर से ठग लेंगे और वोट ले लेंगे तो यह बहुत बड़ी भूल है। क्योंकि बिहार के मुसलमान नीतीश कुमार का मुस्लिम मुखालिफ चेहरे को अच्छी तरह से पहचान लिए हैं और आने वाले चुनाव में हर एक जख्म का बदला बिहार के मुसलमान अपने वोट से लेकर बिहार की ढोंगी सरकार को करार जवाब देंगे।


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