सुपौल : छातापुर में दो दिवसीय मुशायरा सह इतेहादुल मुस्लिमीन कॉन्फ्रेंस का भव्य आयोजन

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इरशाद आदिल 
संवाददाता
छातापुर, सुपौल

छातापुर/सुपौल/बिहार : छातापुर मुख्यालय बाजार स्थित मदरसा अजवरुल उलूम के समीप मुशायरा सह महा कवि सम्मेलन तथा इतेहादुल मुस्लिमीन कॉन्फ्रेंस का दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के पूर्व सदस्य मौलाना सगीर रहमानी, छातापुर थानाध्यक्ष अनमोल कुमार, युवा संघ अध्यक्ष मकसूद मसन, ख़ादिम-ए-मजलिस खलीकुल्लाह अंसारी ने फीता काटकर किया । कार्यक्रम का संचालन मौलाना जियाउल्लाह जिया रहमानी कर रहे थे ।

जलसा में शिरकत करने वाले कई जिले के मौलानाओ (वक्ताओ )ने अपनी बाते रखते हुए लोगो से आपसी  सौहार्द, अमन चैन आदि बनाये रखने की अपील की । मंगवालर की शाम से शुरू हुयी जलशा बुधवार को मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के पूर्व सदस्य मौलाना सगीर रहमानी के द्वारा दुआ के साथ समापन हुआ ।

जलसा के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए बुधवार को मुख्य वक्ता के रूप में सहारनपुर से शेख-उल-हदीस मुफ्ती कौशर सुबहानी ने अपने तकरीर में शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है शिक्षा एक ऐसी चीज है जो इंसान को इंसान बनाती है। उन्होंने कहा कि इस जलसे से तमाम मुसलमानों को यह पैगाम देना चाहता हूँ कि जहां अल्लाह ने हमें क़ुरआन पाक में हम सभी को अमनो शांति से रहने का हुक्म दिया है, इसलिए सभी मुसलमान अमनो शांति के साथ खड़े रहें, और सभी को अमनो शांति के साथ रहने का पैगाम दें, इसी पैगाम को जन जन तक पहुंचाने के लिए आज का यह जलसा का आयोजन किया गया।

जलसा को संबोधित करते हुए फुलवारी शरीफ पटना से आए उस्ताद हदीस हजरत मौलाना अब्दुस्समी चतुर्वेदी ने वेद, गीता, रामायण, कुआन का मंत्र पढ़कर उर्दू में तर्जुआ कर समझाया । उन्होंने कहा कि हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम के द्वारा बताया गया मार्ग बिल्कुल सीधा और सच्चा है । उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म मे शिक्षा की बहुत कमी है, इसलिए उन्होंने से मुसलमान भाइयों से अपने अपने बच्चें को सबसे पहले शिक्षा देने बात कही। उंन्होने मौजूद लोगों से समाज के औरत को सम्मान दे देने की बात कही , उन्होंने ने कहा अपने ही घर की औरत को माँ, बहन, बेटी नही समझे बल्कि समाज मे किसी भी धर्म की औरत को अपना माँ, बहन, बेटी समझ कर उन्हें सम्मान दे ।

मौलाना मुफ्ती अब्दुल मजीद ने कहा की मुहब्बत व मुहम्मद एक दूसरे के पूरक हैं। जिसमें मुहब्बत नहीं वो मुहम्मद का नहीं हो सकता। जो मजहब तलवार की ताकत पर कायम हो उसे इस्लाम मत कहना। एक हाथ में कुरआन व दूसरे हाथ में मुहब्बत का पैगाम लेकर चलने वाले कि जहां मजहब का झंडा व वतन की शान तिरंगा की बात आएगी, वहां गर्व से तिरंगे का दामन थाम लेंगे।

आप को बताते चलूं की मौलाना अबुल कलाम ने अपनी संबोधन में कहा कि दहेज के लेना और देना यह हमारे मजहबे इस्लाम के अंदर नाजाएजो हराम है, अगर कोई दहेज लेकर शादी करता है तो हम उसकी घोर निंदा करते हैं, इस तरह की शादी में हम सभी को उसकी मदद नही करनी चाहिए, और उसका बायकॉट होनी चाहिए । आज हमारे समाज के अंदर जो इस तरह की बुराइयां है सभी लोग मिलकर इसको दर किनार करने का काम करेंगे। मौलाना ने जलसे की माध्यम से पूरे मुल्क के लोगों को शांति का पैगाम दिया ।

कार्यक्रम में मशहूर शायर सरफराज अंजुम, केशर राणा, माहिर भारती, अहमद सिद्दीक, लुकमान दानिश, फिरदौश अंजुम, फिरदौश कौसर, मौलाना अब्दुल कलाम, मुफ़्ती अमानतुल्लाह कासमी आदि ने भी सम्बोधित किया ।

इस मौके पर मौके पर मौलाना आरिफ रहमानी, मो नूरुद्दीन, असगर अली, सगीर अहमद, मो. सगीर, इमाम हसन, हाफिज सोहराब, मो हारून, मो. कलाम, मौलाना कलाम, आबिद हुसैन, सरफराज, चन्दन राम, राजेंद्र पासवान, मो. हासीम, मो. रफ्तन, मो. निजाम, मो शमसुल, सरीफ मास्टर, मो समद, मो अबुजर गफ़्फ़ारी, मो. सुक्खन, अम्बेडकर सिंह, गौरी शंकर भगत, मो बेचन मो. जहांगीर, मो. रब्बान, मो नौशेर, मो. निजाम, मो. हासिम, मो. कलीम, मो. अजीम, नौशाद उर्फ़ पप्पू, मो. सलाउद्दीन, मो. जमील, मुजाहिद आलम उर्फ़ हीरा, मो. नईम, मो. वहाब, मो. इंतिजार, मो. आजाद, मो. फिरोज, शुशील ठाकुर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।


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