रक्षाबंधन : साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक पर्व

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यहिया सिद्दीकी
संपादक

रक्षाबंधन साम्प्रदायिक सौहार्द का इकलौता पवित्र पर्व है। यह पर्व विश्व के दो महानतम धर्म सनातन हिन्दू और इस्लाम का “संधि उत्सव” है। आस्था और ईमान के सवाल पर चाहे उक्त दोनों धर्मों में जितनी कटुता हो लेकिन रक्षाबंधन ही एक ऐसा पर्व है जिसने दोनों धर्मों को सौहार्द के बंधन में बांध रखा है । पवित्र प्रेम में जकड़ रखा है। यूं तो प्रेम के कई रूप होते हैं लेकिन सभी रूपों में भाई-बहन का प्रेम सर्वाधिक महान और पवित्र होता है। जो पूर्णतः नि:स्वार्थ ,निष्कलंक, निष्पाप तथा घातमुक्त होता है। भाई-बहन के रिश्तों के बीच न तो किसी न तो जाति- धर्म की दीवार होती है और न ही ही किसी खास विचारधारा की बाधा। लिहाजा भाई-बहन के प्रेम को सम्मान, स्नेह , सुरक्षा तथा सौहार्द का सम्मिश्रण भी कहा जा सकता है। जिसका “प्रतिक पर्व” है रक्षाबंधन।

रक्षाबंधन भूमंडल पर मनाया जाने वाला प्राचीनतम पर्व है। इस पर्व की पौराणिकता जितना जबरदस्त है उतना ही शानदार इसकी ऐतिहासिकता है। रक्षाबंधन ही वह पर्व है जिसने मध्यकाल में भारतीय उपमहाद्वीप पर रिश्तों की ऐसी अमिट इबारतलिखा जिसने दो विपरीत विचारधाराओं , संस्कृतियों और धर्मों को सौहार्द के सूत्र बाँध रखा है।
सनद रहे कि रक्षाबंधन से जुड़ी चितौड़ की महारानी कर्णावती और शहंशाह हुमायूं की कहानी सर्वाधिक चर्चित है ।मध्यकालीन भारत में जब राजपूत और मुस्लिम शासकों के बीच संघर्ष चल रहा था तब चित्तौड़ की विधवा महारानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और चितौड़ की सुरक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

मध्यकाल में ही राजस्थान की दो रियासतों के बीच भयंकर द्वंद चल रहा था। एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए प्रत्येक पक्ष दुश्मनों से भी हाथ मिलाने के लिए तैयार रहते थे। ऐसी ही परिस्थिति में एक रियासत पर मुगलों ने आक्रमण कर दिया। ऐसा मौका पाकर दूसरी रियासत वाले राजपूत शासक मुगलों का साथ देने के लिए तैयार हो गए। उसी दौरान रानी पन्ना भी मुगलों के घेरे में आ गई। ऐसे में पन्ना ने दूसरी रियासत के शासक जहाँगीर जो मुगलों की सहायता करने के लिए जा रहा था, उसे राखी भेज दी। जहाँगीर राखी पाते ही अत्यंत खुश हुआ और पन्ना को अपनी बहन मानते हुए उसकी सहायता की और मुगलों पर ही उलटा आक्रमण कर दिया। विपक्षी मुगल पराजित हो गए। इस तरह पन्ना ने जहाँगीर को राखी भेजकर दोनों रियासतों के शासकों को मैत्री और सौहार्द के सूत्र में बाँध दिया।लिहाजा हम हम कह सकते हैं कि रक्षाबंधन सौहार्द का प्रतीक  पर्व है।

द रिपब्लिकन टाइम्स” की ओर से सभी भाई -बहन को असीम शुभकामनाएँ !


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