मधेपुरा/बिहार : खसरा और रूबैला जैसी घातक बीमारियों की रोक थाम के लिए 15 जनवरी से टीकाकरण शुरू हो जाएगा। यह अभियान जिले भर में चलेगा। नौ माह से 15 साल तक के बच्चों को खसरा और रुबैला से बचाव के लिए एमआर टीका लगाया जाएगा। टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। इसके लिए प्रखंडवार कर्मियों का दल बनाया गया है। जिले के सभी प्रखंडों के लगभग 8 लाख बच्चों को एमआर का टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
15 जनवरी जिले में आरंभ खसरा-रुबैला टीकाकरण अभियान को लेकर शुक्रवार को सिविल सर्जन कार्यालय में एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन, मधेपुरा ने किया। इस कार्यशाला में जिला प्रशासन, जिला स्वास्थ्य समिति, यूनिसेफ, डब्लू०एच०ओ, यू०एन०डी०पी० सहित अन्य सहयोगी संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा के पत्रकारों को खसरा-रूबेला की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई ।
सर्वप्रथम जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार वर्मा ने विस्तार से खसरा-रूबेला अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि जिला स्तर पर लगातार शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, समेकित बाल विकास कार्यक्रम, पंचायती राज विभाग, जीविका आदि के सहयोग से हम इस अभियान की सूक्ष्म कार्य योजना बनाकर अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए कृत संकल्प है। खसरा-रूबेला का टीका ना केवल बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि संपूर्ण समाज से खसरा-रुबैला जैसे संक्रामक रोगों से मुक्त कराने में सहायक साबित होगा। इस अभियान के तहत जिले के कुल 777520(लगभग आठ लाख) बच्चों को टीका दिया जाएगा। विद्यालय में 2743 सत्र, आंगनबाड़ी केंद्रों पर 2285 एवं दूरस्थ क्षेत्र में 28 मोबाइल दलों के द्वारा इन सभी स्वास्थ्य केंद्र पर बच्चों को खसरा-रूबेला टीका से लाभान्वित किया जाएगा।
वहीँ सिविल सर्जन डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि वर्ष 2018-19 में सार्वभौमिक टीकाकरण के तहत कुछ महत्वपूर्ण टीकों को शामिल करने पर विचार किया गया है। खसरा-रुबैला का टीका इन्हीं में से एक है। इस टीके को टीकाकरण कार्यक्रम शामिल करने का मकसद बाल मृत्यु दर में कमी लाना और बच्चों को प्राणघातक प्रतिरोधात्मक बीमारी के खतरे से बचाना है। खसरा-रूबेला के नाम से पहली बार प्रयोग में लाया जा रहा यह टीका बच्चों को ऐसी विकृतियों से भी बचाता है, जो जन्म के साथ ही शरीर में आ जाती है और उनका कोई इलाज भी नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान का लक्ष्य देश के लगभग 41 करोड बच्चों तक पहुंचाना है। इतनी बड़ी संख्या के साथ यह अपने-आप में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है। इसके तहत बिहार के करीब 4 करोड़ बच्चों को और मधेपुरा जिले के लगभग आठ लाख बच्चों को इस टीका का लाभ पहुंचाया जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सीमा सिंह ने कहा कि बच्चों के लिए अति घातक बीमारी एवं जानलेवा बीमारी खसरे के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम को लागू करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत को बधाई देता है। उन्होंने बताया कि रूबेला वायरस से फैलने वाली ऐसी बिमारी है, जो यदि किसी गर्भवती महिला को हो जाए तो उसका होने वाला बच्चा किसी ना किसी जन्मजात दोश के साथ ही जन्म लेगा या तो महिला का गर्भपात हो जाएगा। उन्होंने बाताया कि भारत चेचक, पोलियो, मातृ एवम शिशु टिटनेस पर पहले ही विजय पा चुका है। खसरे के खिलाफ भी अगर यह लड़ाई जीत लेता है तो सार्वजनिक सवास्थ्य के कई अन्य लक्ष्य की और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
यूनिसेफ के नलिन कुमार ने बताया कि बच्चों के टीकों के प्रति समाज में फैली अफवाहों को दूर करने और टीके में लोगों का विश्वास पैदा करने के लिए यूनिसेफ, मीडिया को महत्वपूर्ण मानता है। उन्होंने मीडिया मुखातिब होते हुए कहा कि पोलियो के खिलाफ लड़ाई में मीडिया हमारा पुराना सहयोगी रहा है। फिर चाहे वह देश के किसी भी कोने में क्यों ना हो, टीकाकरण सुनिश्चित करने में एक बार फिर आपका सहयोग चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि बच्चों कि टीके से बच्चों की जान ही नहीं बचती, बल्कि उनका स्वास्थ्य एवं उत्पादक भविष्य सुरक्षित होता है साथ ही साथ सबसे बड़ी बात यह है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लक्ष्य को हासिल करने का एक मजबूत और सफल उपाय है।
कार्यक्रम में सविल सर्जन डॉ शैलेंद्र कुमार, डॉ ए के वर्मा, डॉ सीमा सिंह, डॉ राजेश कुमार, डॉ आर के पप्पू, नलिन कुमार, आलोक कुमार एवं जिला लायंस क्लब के सदस्य मौजूद थे।