सुपौल : दिव्यांगजनों की समस्या एवं समाधान हेतु राज्य निःशक्तता आयुक्त ने जिले के आला अधिकारीयों के साथ की समीक्षा बैठक

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मनीष आनंद
ब्यूरो, सुपौल

सुपौल/बिहार : गुरूवार को समाहरणालय स्थित टी0सी0पी0 भवन, सुपौल में डाॅ0 शिवाजी कुमार, राज्य निःशक्तता आयुक्त, बिहार सरकार की अध्यक्षता में दिव्यांगजनों की समस्या एवं समाधान के बिन्दुओं पर समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में जिलाधिकारी, सुपौल, उप विकास आयुक्त, सुपौल, अपर समाहत्र्ता, जिला लोक शिकायत निर्वारण, सुपौल, सभी अनुमंडल पदाधिकारी, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, सुपौल, जिला परिवहन पदाधिकारी, सुपौल, कार्यपालक अभियंता, भवन प्रमंडल, सुपौल, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, शिक्षा, सुपौल, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, सुपौल, बाल संरक्षण पदाधिकारी, सुपौल एवं बुनयादी केन्द्र के कर्मीगण उपस्थित थे।
इस दौरान मुकेश कुमार सिन्हा, उप विकास आयुक्त, सुपौल द्वारा सर्वप्रथम बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए बताया गया कि आज हम सभी दिव्यांगजनों के अधिकार के संबंध में चर्चा करने एवं उन्हें दिये जाने वाले लाभ के विषय पर समीक्षा के लिए उपस्थित हुए है। तत्पश्चात डाॅ0 शिवाजी कुमार, राज्य आयुक्त निःशक्तता, बिहार सरकार द्वारा उपस्थित सभी पदाधिकारी को बताया गया कि वैसे दिव्यांगजन जो 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता के श्रेणी में आते हैं उसे सरकार द्वारा विभिन्न तरह के लाभों से अच्छादित किया जाना है। इसके लिए सभी विभागों को विभिन्न कार्यक्रम एवं योजनाओं में सरकार द्वारा आवंटित राशि से 5 प्रतिशत लाभ सभी क्षेत्रों में दिव्यांजन को दिया जाना है। इसके लिए अलग से राशि की आवश्यकता नहीं है। वत्र्तामान में कुल-21 प्रकार के वैसे निःशक्त व्यक्तियों को दिव्यांगता के श्रेणी में सरकार के द्वारा शामिल किया गया है। इन दिव्यांगजनों के लिए कुल-38 योजनाओं यथा मुख्यमंत्री निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना-2016, स्वरोजगार ऋण योजना, संबल योजना, प्रमाणीकरण इत्यादि का संचालन सरकार द्वारा किया जा रहा है। साथ ही इनके द्वारा कहा गया कि सभी पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत वैसे दिव्यांगजनों को चिन्ह्ति करें तथा दिव्यांग अधिकार अधिनियम-2016 के अन्तर्गत दिये जानेवाले लाभों से आच्छादित करें। यदि किसी दिव्यांगजन को दिव्यांगता प्रमाण-पत्र नहीं है और वैसा दिव्यांगजन आपके संज्ञान में हो तो उसे उचित प्लेटफार्म पर भेजवाये ताकि वह प्रमाण-पत्र बनवा सके और अपना लाभ प्राप्त कर सके।
राज्य आयुक्त द्वारा बताया गया कि सुपौल जिला में पहलीबार दिव्यांगजनों की समस्या के निदान के लिए चलंत न्यायालय का संचालन किया जा रहा है। नया नियम दिव्यांग अधिकार अधिनियम-2016 के तहत वैसे सभी दिव्यांगजनों को लाभ से अच्छादित किया जाना है।
बैठक में उपस्थित सिविल सर्जन, सुपौल को निदेश दिया गया है कि दिव्यांगजनों को प्रमाण-प़त्र निर्गत करते समय इस बात का स्पष्ट उल्लेख करना होगा कि विकलांगता का प्रतिशत कितना है। 40 प्रतिशत से उपर वाले को दिव्यांगता से संबंधित सभी लाभ दिया जाना है। साथ राज्य आयुक्त द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया कि इस कार्य में लापरवाही बरतनेवाले दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने हेतु धारा-84 के तहत विशेषाधिकार प्राप्त है। इसके तहत कई जिलों में कार्रवाई भी की गयी है। धारा 90 के तहत 50 हजार से 5 लाख तक का जुर्माना का प्रावधान है।  साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी, सुपौल को निदेश दिया गया कि वैसे सभी दिव्यांगजनों को शिक्षा से जोड़े और उन्हें सरकार द्वारा प्रदत लाभ से अच्छादित करें। साथ ही शारिरीक शिक्षकों को सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा के सहयोग से प्रशिक्षण दिलावें।
राज्य आयुक्त द्वारा बताया गया कि धारा 19के तहत दिव्यांगजनों के ऋण प्राप्त करने का अधिकार है। धारा 24 के तहत दिव्यांगजनों के सभी सुविधा उपलबध कराया जाना है। धारा-30के तहत दिव्यांगजनों को मनोरंजन, पुनर्वास एवं सामाजिक सुरक्षा का अधिकार निहित है। धार-32 के तहत उच्च शिक्षा में 5 प्रतिशत सिट दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित है।
बैठक में जिलाधिकारी, द्वारा बताया गया कि दिव्यांगजनों से संबंधित अधिनियम 2016 जो नया स्वरूप में आया है। जब यह अधिनियम ड्रफ्टिंग की स्थिति में था तो उस समय मैं उस विभाग में निदेशक, के पद पर कार्यरत था। मैने भी इस क्षेत्र में काफी मेहनत किया हूँ, जो स्वरूप आज हमलोगों के बीच दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम 2016 के रूप में है। साथ ही सभी से यह अनुरोध किया गया कि दिव्यांगजनों के लिए एक सेवा भाग के रूप में कार्य करें उन्हें किसी भी लाभ से वंचित न रखें इस बीमारी से हमलोगों के बीच बैठे किसी भी परीवार के लोग शिकार हो सकते है इस लिए सेवा भावना के रूप में दिव्यागजनों के लिए कार्य किया जाय।
राज्य आयुक्त द्वारा एल0डी0एम0 सुपौल को दिव्यांगजनों को विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाले ऋण उपलब्ध कराने के दिशा में त्वरित कार्रवाई करने का निदेश दिया गया।  जिला परिवहन पदाधिकारी सुपौल को भी गाड़ी/बसो में दिव्यांगजनों के लिए आवश्यक सुविधा उपलब्ध रहें इसके लिए अपने स्तर से अधिनियम के तहत सभी कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। साथ ही उन्हें यह भी निदेश दिया गयाकि सारथी योजनाओं के तहत दिव्यागजनों को लाईसेंस भी निर्गत करें। कार्यपालक अभियंता भवन प्रमंडल सुपौल को निदेश दिया गया कि दिव्यांगजनों के लिए टेकटाईल पाथ सरकारी भवनों में रेम्प बनवाया जाय। रेम्प निर्माण कार्य का प्राक्कलन तैयार कर राशि की मांग विभाग से करें।
राज्य आयुक्त द्वारा उपस्थित सभी पदाधिकारी से अनुरोध किया गया कि अपने-अपने कार्यालय परिसर में दिव्यांगजनों के लिए व्हीलचेयर लगाने के लिए एक जगह चिनहिंत किया जाय।
राज्य आयुक्त द्वारा पुलिस प्रशासन के साथ भी दिव्यांगजनों के अधिकार के संबंध में बैठक आयोजित की गई। बैठक में पुलिस अधीक्षक, सुपौल, सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सुपौल जिला एवं जिले के सभी थाना प्रभारी उपस्थित थे। बैठक में राज्य आयुक्त द्वारा दिव्यांगजनों के सहायतार्थ हेतु पुलिस प्रशासन की भूमिका पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। साथ ही उन्हें दिव्यांग अधिकार अधिनियम-2016 के तहत दिव्यांगजन को मिलने वाले अधिकार जिसके तहत वे थाना में मामला दर्ज करवाया जा सके एवं उसे लाभ दिलाया जा सके। इसके लिए सभी पुलिस प्रशासन को सेवा भाव से दिव्यांगजनों के लिए कार्य करने हेतु अनुरोध किया गया ताकि अधिक से अधिक दिव्यांगजनों को लाभ से अच्छादित किया जा सके।
पुलिस अधीक्षक सुपौल द्वारा बैठक में उपस्थित सभी पुलिस पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि सभी थाना में दिव्यांगजनों के सुविधा के लिए रेम्प का निमार्ण करावें तथा दिव्यांगजनों से संबंधित छोटी-छोटी घटनाओं को भी संज्ञान में लेकर नियमानुसार समाधान करें साथ ही थाना में दिव्यांगजन से शिकायत से संबंधित एक पंजी का भी संधारण करें ताकि वर्ष के अंत में यह देखा जा सके कि किस थाना में कितने दिव्यांगजन से संबंधित आवेदन प्राप्त हुए एवं कितने के निवारण किया गया।


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