नालंदा : राज्य सरकार कोरोना के फैलाव को रोकने के बजाय चुनाव की तैयारी में व्यस्त-कांग्रेस

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मुर्शीद आलम
नालंदा ब्यूरो
बिहार

नालंदा/बिहार : जिला स्नातक अधिकार मंच के संयोजक सह जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिलीप कुमार ने बिहार सरकार पर जमकर जुबानी हमला कारते हुए कहा कि इस वैश्विक महामारी कोरोना covid-19  के दौर में सरकार को जनता की कोई चिंता नहीं है और चुनाव की तैयारी में व्यस्त है।

सरकार के रवैये पर अफसोस जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार कोविड-19 को नजरअंदाज कर रही है, वह समय दूर नहीं है जब कोविड-19 कोविड-20 और कोविड-21 में परिणत हो जाएगा। उन्होंने कोविड-19 टेस्ट पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि बिहार सरकार ने स्वयं कबूल किया है कि अभी 10,000 जाँच कोविड 19 का  पूरे बिहार में रोजाना हो रहे हैं। इसे बढ़ाकर अगले सप्ताह तक 20,000 किया जाएगा । जनता खुद अंदाजा लगा ले कि अभी 10000 के हिसाब से अगर बिहार की पूरी आबादी को जाँच  किया जाए तो 33 वर्ष लगेंगे पूरे जांच की प्रक्रिया पूरे होने में, अगर इसे 20000 भी रोजाना किया गया तब भी पूरे बिहार की जनता को जांच प्रक्रिया से गुजरने के लिए 17 साल का समय लगेगा।

उन्होंने नालंदा समेत पूरे बिहार में बढ़ रही कोरोना  वायरस पॉजिटिव मरीजों की संख्या पर बोलते हुए कहा की सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है जनता रहे या ना रहे सरकार को सिर्फ चुनाव की चिंता लगी हुई है।  सत्तारूढ़ दल के लोग यह चाह रहे हैं कि उनके सर पर कोरोना महामारी का ठीकरा फूटने के पहले ही चुनाव हो जाए, ताकि वह फिर से सत्ता पर काबिज हो जाएं। कोरोना के नाम पर सारी राशि की बंदरबांट किया जा रहा है, सरकार सिर्फ कागजी वादे करने में विश्वास रखती है, इस सरकार को जनता से कोई लेना देना नहीं है आज जिले में जो स्थिति बनी हुई है।

 कोरोना जांच के लिए टेस्ट सैंपल देने के बाद एक-एक सप्ताह तक उसका रिजल्ट नहीं मिलना सरकार का कोरोना एवं जनता के प्रति उदासीन रवैया को दर्शाता है। सिर्फ कागज और अखबारों में सरकार के द्वारा बयान दिया जाता है कि हर जगह पर जांच की सुविधा उपलब्ध है, पर ऐसा कहीं दिखता नहीं है आज की ही घटना जिसमें सिलाव के जिला परिषद कैप्टन सुनील जी की मृत्यु पटना में हुई है, उनका जांच रिपोर्ट 4 दिनों में अभी तक उनके परिवार को नहीं मिल पाया, पता नहीं कौन सा सिस्टम काम कर रहा है कि एक एक सप्ताह तक जांच का रिपोर्ट नहीं मिल पाता है।

 उन्होंने जिला अधिकारी एवं सिविल सर्जन से मांग करते हुए कहा कि सारी जांच की प्रक्रिया को जनता के सामने सार्वजनिक किया जाए ताकि जिसे भी आवश्यकता हो कॉविड जांच कराने की वह अपना जांच जरूर करवा लें।  उन्होंने आज की एक और घटना की चर्चा करते हुए कहा की बिहार शरीफ पुलिस लाइन के बगल के मोहल्ले शिवनगर में कल 7:00 बजे शाम से ही एक घर में  एक नौजवान की मौत हो गई है, जिसका जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आया। आज दिन के 3:00 बजे तक उसका शव उसी तरह घर में पड़ा हुआ है, जिला प्रशासन एवं सदर अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन तक सूचना देने के बाद भी उसका डेड बॉडी उठाने प्रशासनिक महकमा से कोई भी नहीं पहुंचा है, जिससे उस मोहल्ले के लोग भयाक्रांत हैं एवं अपने अपने घरों  के दरवाजा खिड़की तक बंद कर  बंदी के तरह घरों में बंद हैं।

 आज जो परिस्थिति बनी हुई है सभी लोग जानते हैं और देख रहे हैं की कोरोना संक्रमित मरीज अपनी गाड़ी से अपना ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर दर दर की ठोकर खा रहे हैं। बिहार शरीफ सदर अस्पताल से उन्हें वीम्स भेजा जाता है, जहां से आईजीएमएस रेफर किया जाता है, आईजीएमएस से एनएमसीएच भेजा जाता है और एनएमसीएच से एआईआईएमएस भेजा जाता है, वहां भी उसे डांट फटकार कर बेड नहीं खाली होने का बात कह कर भगा दिया जाता है । इन 3 दिनों के प्रक्रिया में उस पेशेंट को ना तो कोई इलाज हो पाता है और ना ही कोई जांच हो पाता है जिसके कारण वैसे मरीज काल कलवित  होते जा रहे हैं।

 उन्होंने फिर लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि अपनी शरीर एवं स्वास्थ्य की रक्षा की जवाबदेही अब जनता को खुद लेनी होगी। सरकार को सिर्फ चुनाव लड़ने से मतलब है, इस आपदा की घड़ी में डर का ऐसा माहौल बना हुआ है, लोग एक दूसरे के पास एक दूसरे से बात करने में भी डरने लगे हैं। खासकर नालंदा में कोरोना सँक्रमितोँ की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है और सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है, अभी के समय में इस संक्रमण के दौर में हर मोहल्ले में जाकर सरकार को कोविड-19 की जांच करवानी चाहिए थी, लेकिन कहीं भी कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा है। बैंक बंद हो रहे हैं, रजिस्ट्री कचहरी बंद हो रहा है, कोर्ट बंद हो रहा है, सड़कें वीरान हैं, गांवों को  मुहल्लों को सील किया जा रहा है, फिर भी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।

 सोशल मीडिया को देखने के बाद एक भी मंत्री विधायक सांसद कोरोना की चर्चा नहीं बल्कि सरकार की बड़ाई करने में लगे हुए हैं, अगले चुनाव में कैसे सरकार बने इसकी चर्चाएं की जा रही हैं।  इन 4 महीनों के दरमियां 1 दिन भी स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा या किसी भी मंत्री या सांसद के द्वारा सदर अस्पताल का कोई निरीक्षण नहीं किया जाना, यह सरकारी उदासीनता को दर्शाता है। इस तरह कोरोना काल में सरकार की पूरी ध्यान चुनाव के प्रति पर जमकर बरसे और कहा कि सरकार को जनता की जानमाल का कोई फिक्र नहीं है, सिर्फ वह गद्दी पर बैठने की चिंता करती है ऐसी सरकार को जनता द्वारा नकार देने की जरूरत है।


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