मधेपुरा : उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ जिले भर में संपन्न हुआ चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व बुधवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। मंगलवार की शाम छठ व्रतियों द्वारा अस्तलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। वहीं बुधवार सुबह अर्घ्य के साथ ही छठ व्रतियों का उपवास भी समाप्त हो गया। सुबह जैसे ही सूर्य ने अपनी लालिमा बिखेरी छठ व्रतियों के चेहरे खिल उठे और भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देकर पर्व को पूर्ण किया।

चुस्त-दुरुस्त थी सुरक्षा व्यवस्था

उधर, जिला मुख्यालय स्थिति विभिन्न छट घाटों प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरूस्त देखी गयी।  इस दौरान जिला पदाधिकारी नवदीप शुक्ला, जिले के पुलिस कप्तान संजय कुमार, डीडीसी मुकेश कुमार, एसडीपीओ वशी अहमद, सदर एसडीम वृंदा लाल, सदर अंचलाधिकारी वीरेंद्र झा, सदर थानाध्यक्ष मनोज कुमार महतो सहित अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी छठ घाटों का निरीक्षण कर छठव्रतियों के हाथों प्रसाद ग्रहण किये।  जिला मुख्यालय के सुखासन घाट, भीरखी घाट, गुमटी घाट, बेलहा घाट, गौशाला घाट, वार्ड नंबर 5 घाट, गुमटी पुल घाट, जयपालपट्टी घाट, सुखासन घाट, तुनियाही घाट, भिरखी घाट,साहुगढ घाट, पथराहा पोखर, बराही जरूर नदी घाट, महिला कॉलेज के पूरब घाट पर हजारों की संख्या में लोगों ने धूम-धाम से भगवान भाष्कर को अर्घ्य दे कर छठ पर्व मनाया. इस दौरान प्रशासन की चाक चौबंद व्यवस्था देखी गयी।

घाटों पर लोगों से मिले सांसद पप्पू यादव

जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न घाटों पर मधेपुरा लोस के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने लोगों से मुलाकात कर महापर्व छठ की शुभकामना दी। उन्होंने कहा कि महापर्व छठ लोक आस्था का महापर्व है।  बिहार में इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।  वहीं देश के अन्य प्रदेशों में छठ मनाने की परंपरा शुरू हो गयी है।  सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सांसद ने कई निर्देश भी दिये। उन्होंने युवाओं से पर्व के दौरान आपसी भाईचारा बनाये रखने की अपील की। वहीं सांसद शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला ने भी मंगलवार की शाम घाटों पर जाकर इंतजाम देखा तथा छठ व्रतियों से भी मिले।  उन्होंने कहा कि छठ सही मायने में लोक आस्था का पर्व है, जिसमें लोग प्रकृति की पूजा करते है।  आडंबर या किसी भी प्रकार के अतिवाद, मांत्रिक अनुष्ठान के स्थान पर भक्ति सर्वोपरि है।  यह छठ में ही एहसास होता है।

घाटों पर सुरक्षा की रही संपूर्ण व्यवस्था

जिला मुख्यालय के विभिन्न घाटों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन ने तीन श्रेणी में बांट कर रखा था। इसके लिए हर घाट पर खतरे के निशान पर बांस एवं रस्सी बांधा गया था।  वहीं नाव के साथ गोताखोर भी तैनात थे। इस वर्ष प्रशासन की मुस्तैदी से महापर्व छठ शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।  विभिन्न घाटों पर डीएम, एसपी, एसडीपीओ, एसडीएम, अंचलाधिकारी के अलावा कई वरीय अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाले हुए थे।  प्रशासन के साथ स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

मंगलवार को जाम तो बुधवार को शहर में छठ कर्फ्यू

हालांकि शहर में मंगलवार को पर्व की घोषित बंदी रहती थी लेकिन छठ पर्व होने के कारण मंगलवार को बाजार में इतनी भीड़ रही कि पूर्णिया गोला चौक से थाना चौक तक दिन भर में दर्जनों बार जाम की स्थिति बन गयी।  महज आधे किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों का काफी मशक्कत करना पड़ा।  जहां तहां वाहन खड़े किये जाने के कारण छोटी चारपहिया गाड़ियों का गुजरना भी काफी मश्किल हो गया।  लेकिन शाम होते -होते दुकानों के शटर गिर गये. बाजार पूरी तरह खाली हो गया। जिसे देखो वही सिर पर दउरा उठाये छठ घाट की ओर चला जा रहा था।  बुधवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पर्व का समापन तो हो गया लेकिन लोग छुट्टी के मूड में ही रहे।  तीन दिनों की हरारत के बाद बुधवार को शहर की अधिकतर दुकानें बंद ही रही।  कुछ लोगों ने पूछने पर कहा कि यह छठ कर्फ्यू है। अब गुरुवार से ही बाजार पटरी पर लौटेगा।

तैनात रहे एंबुलेंस

छठ को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा वहीं किसी भी हादसे की आशंका के मद्देनजर एंबुलेंस को घाटों पर तैनात किया गया था। इन एंबुलेंस में डाक्टरों की टीम जरूरी चिकित्सकीय उपकरणों के साथ ड्यूटी पर थे।  हर जगह नियंत्रण कक्ष स्थापित की गयी थी।

सुरक्षा के लिए पुलिस सतर्क

छठ के दौरान किसी भी अप्रिय हादसे को टालने के लिए जिला प्रशासन ने मुख्यालय स्थित विभिन्न घाटों पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल को तैनात किया था।  पुलिस के जवान न केवल घाट पर नजर रखे हुए थे बल्कि आतिशबाजी रोकने में भी अहम भूमिका निभायी।  इस दौरान एसडीपीओ वसी अहमद, एसडीएम वृंदा लाल, सदर अंचलाधिकारी वीरेंद्र झा तथा थानाध्यक्ष मनोज कुमार महतो थाना क्षेत्र के विभिन्न घाटों का निरीक्षण करते नजर आये।  इस दौरान एस आई एके सिंह, कमांडो हेड विपिन कुमार, विकास कुमार, अमन कुमार सहित अन्य पुलिस बल एवं कमांडो मौजूद रहे।

महापर्व छठ पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रही धूम

जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में महापर्व छठ के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। इस दौरान शहर के जयपालपट्टी चौक पर मैया जागरण का आयोजन किया गया। वहीं विभिन्न प्रखंडों में जागरण व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित की गयी।

दंड प्रमाणी देते हुए घाट पर पहुंचे श्रद्धालु

तमाम जिलावासी आधी रात को ही घाट पर प्रस्थान के लिए ठण्ड को जवाब देते हुए पहुंच गये़ और सूर्यदेव की बेसब्री से इंतजार करने लगे, इस बीच घाट पर आपसी भाई-चारा देखने को मिला. लोक आस्था है कि छठ मईया की महिमा अपरमपार है़ जो सभी अपने कष्ट, वैर भावना भूल कर एक-दूसरे के साथ मिलकर छठ पूजा अर्चना करते है। छठ मईया के भक्ति गीतों से पूरा घाट गूंजता रहा़ लोगों में अपार खुशी देखा गयी। हर कोई अपनी-अपनी मन्नते मांगने घाट पर उपस्थित थे।  वहीं सूर्यदेव के रोशनी की झलख देखते ही छठव्रती और श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौर गयी।  घाटों पर लोगों ने कहा कि भगवान सूर्य उग गये हैं, और सभी अपनी-अपनी मनोकामनाओं के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पण की. इसी के साथ महापर्व छठ पूजा संपन्न हो गया।

जिले के सभी अधिकारियों द्वारा हुआ निरीक्षण

लोक आस्था का महापर्व छठ आज प्रातः सूर्योदय को अर्ध्य के बाद शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया।  जिला मुख्यालय स्थित वार्ड नंबर 14 जिलाधिकारी आवास से पूरब छठ घाट सहित अन्य छठ घाटों का निरीक्षण जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनमोहन शरणलाल, एडीजे अशोक कुमार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, मधेपुरा के सचिव विधाधर प्रसाद, पूर्व पार्षद सह सामाजिक कार्यकर्ता ध्यानी यादव ने किया।

इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, मधेपुरा के सचिव विधाधर प्रसाद ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी जिले के विभिन्न छठ घाटों पर कोई भी अनहोनी घटना न हो, आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने के लिए पैरा लीगल वालंटियर की तैनाती की गई थी। लोक आस्था के इस पावन महापर्व के अवसर पर जिला एवम् सत्र न्यायाधीश मनमोहन शरणलाल, एडीजे अशोक कुमार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, मधेपुरा के सचिव विधाधर प्रसाद ने भी उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिए।

सीता ने की थी सूर्यदेव की पूजा अर्चना

भगवान राम ने रावण की हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों की सलाह से राजसूर्य यज्ञ किया।  इस यज्ञ के लिए अयोध्या में मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया गया और उन्होंने मां सीते को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिये।  इसके बाद मां सीता मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी।

महाभारत काल से हो रहा महापर्व छठ

महापर्व छठ के अवसर पर की जाने वाली सूर्य की उपासना महाभारत काल से की जाती है। कहते हैं कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी।  कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। मान्याताओं के अनुसार वे प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्‍य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वे महान योद्धा बने थे। इसके अलावा महाभारत काल में छठ पूजा का एक और वर्णन मिलता है। जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाठ हार गये थे तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था।  इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को अपना राजपाठ वापस मिल गया था।

राजा प्रियवंद और रानी मालिनी की कथा भी प्रसिद्ध

छठ पूजा के संबंध में राजा प्रियवंद और रानी मालिनी की कथा भी प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि राजा प्रियवंद और रानी मालिनी की कोई संतान नहीं था।  हर्षि कश्यप की सलाह ने इस दंपति ने यज्ञ करवाया लेकिन दुर्भाग्यवश उनके घर मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ।  इससे परेशान राजा और रानी प्राण त्यागने की कोशिश करने लगे, उसी समय भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा से कहा कि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं और इसी वजह से वो षष्ठी कहलातीं हैं। उनकी पूजा करने से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी।  राजा प्रियंवद और रानी मालती ने देवी षष्ठी की व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।  कहते हैं ये पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी और तभी से छठ पूजा हो रही है।

संवाद सहयोगी : अमन कुमार 


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