BNMU : स्थापना दिवस के दिन को यादगार नहीं बनाना दुखद – राठौर

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मधेपुरा/बिहार (प्रेस विज्ञप्ति) : वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के तैंतीसवें स्थापना दिवस पर कुलपति को पत्र लिख विश्वविद्यालय से जुड़े छात्र, शिक्षक, कर्मचारियों को बधाई दी है और उम्मीद जताई कि सबके सहयोग से यह विश्वविद्यालय इस क्षेत्र का शैक्षणिक सिरमौर बने इसके लिए संयुक्त पहल हो। वहीं राठौर ने स्थापना दिवस के दिन को यादगार बनाने और कार्यक्रम आयोजित नहीं करने को दुखद बताया। राठौर ने कहा कि लंबे समय तक स्थापना दिवस और भूपेंद्र जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाता था। बाद में एकसाथ मनाया जाने लगा अब तो औपचारिकता भी सही से पूरी नहीं होती।

लिखे पत्र में जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि मधेपुरा की पहचान का अहम हिस्सा दस जनवरी 1992 को स्थापित  भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय आज अपनी स्थापना का तैतीस साल पूरा कर रहा है। लेकिन दुखद है कि स्थापना काल में सात जिलों में फैले होने में भी ऐसी कोई उपलब्धि की श्रृंखला नहीं बन सकी । आज जब विश्वविद्यालय मात्र तीन जिलों में सिमट गया है तब भी हालात बहुत नहीं बदले हैं बल्कि उल्टे समय समय पर घटती कुछ घटनाओं के कारण शैक्षणिक परिसर पर सवाल ही नहीं उठा बल्कि बीएनएमयू शर्मसार भी हुई। इसका कोई एक कारण नहीं है प्रशासनिक कुव्यवस्था जहां मूल कारण है, वहीं दूरगामी सोच संकल्प का अभाव को इंकार नहीं कर सकते । विश्वविद्यालय के विकास हेतु स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों से संवाद की भी ईमानदार पहल नहीं हुई।

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मूलभूत सुविधाओं पर खर्च लेकिन लाभ नहीं : लिखे पत्र में राठौर ने तीन दशक से अधिक के विश्वविद्यालय में शुद्ध पेयजल, शौचालय, कैंटीन जैसी प्राथमिक व्यवस्था के भी नहीं होने को दुखद बताते हुए इसपर ईमानदार पहल की बात कही है। सेवानिवृत शिक्षकों, कर्मचारियों एवं पूर्ववर्ती छात्रों को जोड़ने और बेहतर भविष्य हेतु पहल की भी वाम युवा नेता राठौर ने मांग उठाई है।

पीठ, सम्मान, पत्रिका का इंतजार हो खत्म : जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति को लिखे पत्र में किसी भी महापुरुषों के नाम पर पीठ की स्थापना नहीं होने, छात्र व शिक्षक के लिए विश्वविद्यालय का अपना सम्मान नहीं होना, वहीं लगातार वादे के बाद विश्वविद्यालय की अपनी पत्रिका प्रकाशित नहीं होने पर चिंता जताई और इस क्षेत्र में अविलंब उचित पहल करते हुए तीन दशक से जारी इंतजार को खत्म करने की मांग की।

नैक के लिए विश्वविद्यालय हो गंभीर और ईमानदार : राठौर ने कहा कि विगत कई वर्षों से लगातार विश्वविद्यालय में नैक से मान्यता के नाम पर बैठकों का लंबा सफर जारी है, पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे लेकिन सफलता के नाम पर परिणाम संतोषजनक नहीं है। कई अनुदानित कॉलेजों को नैक से मिलती सफलता और सरकारी कॉलेजों का असफल होना तो घोर चिंता का विषय है । विश्वविद्यालय का  गर्ल्स हॉस्टल तो मजाक और मीम का प्रयाय बन चुका है। हाल ही में नए परिसर में शिफ्ट केंद्रीय पुस्तकालय सिर्फ नाम का पुस्तकालय है एक ओर जहां स्तरीय पुस्तकों का टोटा है वहीं  बेहतर व्यवस्था व माहौल के अभाव में पुस्तकालय कभी छात्र छात्राओं को जोड़ने न बड़ा केंद्र नहीं बन सका।

महापुरुषों को सम्मान देने के रास्ते से भटक रहा बीएनएमयू : राठौर ने कहा कि किसी भी समाज में महापुरुष उसकी महत्वपूर्ण पूंजी है लेकिन भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में महापुरुषों के नाम पर बने स्थल आदरणीय की जगह उपेक्षा और मजाक सा बन गया है । भूपेंद्र बाबू प्रतिमा स्थल ,आडिटोरियम के सामने बना शहीद चूल्हाय पार्क, कीर्ति पार्क, गांधी पार्क में साज सज्जा की जगह कहीं साफ सफाई का अभाव है तो कहीं फसल लगा दी गई हैं।

स्थापना दिवस पर सफलता, असफलता और संकल्प के रूप में लेने की जरूरत : राठौर ने लिखे पत्र में मांग किया है कि इस विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा का केंद बनाने के लिए संयुक्त पहल की जरूरत है। अगर शैक्षणिक माहौल बनाने व नैक से मान्यता के नाम पर इमानदार पहल नहीं हुई तो और विश्वविद्यालय के लिए निर्धारित मानकों के आधार पर काम नहीं हुआ तो यह विश्वविद्यालय यूजीसी से किसी भी प्रकार का अनुदान पाने का हकदार नहीं रहेगा तब विश्वविद्यालय का कोई औचित्य ही नहीं बचेगा। राठौर ने उम्मीद जताई कि इस विश्वविद्यालय को विवाद, घोटाला, आंदोलन, टकराव से परे सबको साथ लेकर इस क्षेत्र का भाग्य विधाता बनाने की पहल होगी।


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