वर्षो से बंद बिहार पंचायत सरकार भवन को लेकर ग्रामीणों किया प्रदर्शन,चालू करने की मांग

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फोटो : सहजादपुर पंचायत सरकार भवन के सामने प्रदर्शन करते लोग
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मधेपुरा/बिहार : सरकार द्वारा पंचायतों को मजबूती प्रदान किये जाने के उद्देश्य से पंचायत सरकार भवन का निर्माण तो किया गया लेकिन इसका सफल संचालन होता नहीं दिख रहा है। सरकार ने जन कल्याणकारी योजनाओं को सीधे समाज के अंतिम पायदान में खड़े लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से पंचायत मुख्यालय में ही भवन का निर्माण कर कई सरकारी कार्यों को निष्पादित करने का कार्यक्रम बनाई है, लेकिन जिले के उदाकिशुनगंज प्रखंड के सहजादपुर पंचायत में पंचायत सरकार भवन 2017 में ही बन कर तैयार हो गया। इसके निर्माण पर विभाग ने लाखों रूपये खर्च किया. लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है।

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मंगलवार को स्थानीय लोगों ने पंचायत बिहार सरकार भवन वर्षो से बंद रहने को लेकर प्रदर्शन कर प्रशासन से अविलंब चालू करने की मांग की है। लोगों ने उक्त सरकार भवन में पंचायत स्तर के सरकारी कर्मियों को रहना है एवं आसपास के पंचायत के लोगों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की है। इस दौरान आशीष कुमार बाबुल ने कहा कि जिस उद्देश्य के तहत इसे बनाया गया है। वह पूरा नहीं हो पा रहा है, इतना ही नहीं पंचायत सरकार भवन पूरी तरह सरकारी कार्य के लिए अनुपयोगी हो गया है। आलम यह है कि यह सब खुलेआम दिखने के बावजूद भी कोई अधिकारी यह जानने नहीं आया कि पंचायत सरकार भवन की दशा-दुर्दशा कैसी है? पंचायत बिहार सरकार बनाने का उद्देश्य यह था कि प्रखंड से दूर पंचायत होने से लोगों को अनेक प्रकार की असुविधाएं होती हैं। इस असुविधा को देखते हुये बिहार सरकार ने पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया, जबकि सहजादपुर पंचायत स्थित बिहार पंचायत सरकार भवन कई वर्षों से बंद पड़ा है, इसका निर्माण कार्य 26 अप्रैल 2017 में शुरू हुआ एवं 2018 तक पूरा हो गया, एक वर्ष में यह बनकर तैयार हो गया था.अब भवन परिसर जंगल में तबदिल हो गया है।

लाखों रूपये खर्च होने के बाद भी लोगों को नहीं मिली सुविधा : पंचायतों में बिहार सरकार पंचायत भवन का निर्माण कराया गया है। सरकार ने प्रखंड कार्यालय से दूर स्थित पंचायतों के लोगों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने से मुक्ति दिलाने के लिए पंचायत सरकार भवन की नींव रखी थी, हालांकि पंचायत में बने पंचायत सरकार भवन में अभी लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। सरकार का ये उद्देश्य अधूरा है जहां एक ही छत के नीचे उनके सारे प्रखंड आधारित कार्य निष्पादित होने थे।

जाति और आय प्रमाण-पत्र बनवाना भी मुश्किल : सरकार द्वारा पंचायतों को मजबूती प्रदान किये जाने के उद्देश्य से पंचायत सरकार भवन का निर्माण तो किया गया लेकिन इसका सफल संचालन होता नहीं दिख रहा है। पंचायत के क्रियाकलापों के सफल क्रियान्वयन के उद्देश्य की पूर्ति करने का ध्यान रखते हुए पंचायत सरकार भवन का डिजाइन तैयार किया गया है। भवन में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायत स्तर के कर्मियों के लिए स्थान, ग्राम कचहरी के न्यायालय कक्ष, अभिलेखों के संरक्षण के लिए स्थान, स्टोर, पंचायत/स्टैंडिग कमेटी की बैठकों के लिए हॉल, नागरिकों के लिए स्वागत कक्ष, कम्प्यूटराईज्ड सेवा प्रदान करने के लिए सेवा केंद्र, स्टोर, पैंट्री एवं शौचालय का प्रावधान किया गया है।

 उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त बाढ़ एवं आपदाओं में भी उसका उपयोग किया जा सकेगा, पंचायत सरकार भवन का निर्माण क्षेत्र 5920 वर्गफीट प्रस्तावित है, वही पंचायत सरकार भवन पंचायत कलस्टर होगा, इसे गांव का सचिवालय माना गया है। प्रखंड व अंचल कार्यालयों पर लोगों की भीड़ को कम करने एवं गांव के लोगों को गांव में ब्लॉक की सुविधा प्रदान करने के लिए इसे तैयार किया गया। उक्त पंचायत सरकार भवन के निर्माण में 89 लाख 93 हजार 753 रूपये की लागत आई थी, यहां पर पंचायत के अलावा प्रखंड के कार्य जैसे जाति, निवास आय, वृद्धा पेंशन आदि की सुविधा लोगों को देनी थी, लेकिन यह आज तक इस क्षेत्र के लोगों को नसीब नहीं हो सका।

छोटे-मोटे काम के लिये चक्कर काटते हैं लोग : उपस्थित लोगों ने बताया कि शुरूआती दिनों में लगा कि अब हम लोगों को प्रखंड मुख्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, लेकिन आलम यह है कि बनने के बाद इसमें कार्यरत कर्मचारी अपने कार्य के प्रति गंभीर नहीं दिखे, लेकिन पंचायत सरकार भवन से जहां पंचायत से संबंधित कार्य तो होने ही हैं, ग्रामीणों को प्रखंड के सभी कार्य भी यहीं से होने हैं, लोगों को प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जायेगा। ग्रामीणों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, भूमि संबंधित दाखिल-खारिज,लगान रसीद समेत भूमि से संबंधित अन्य कार्य,विभिन्न पेंशन योजना, आय व जाति व अन्य प्रमाणपत्र के अलावा जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र समेत कई सुविधाएं पंचायत सरकार भवनों में ही ग्रामीणों को मिलनी हैं, इसके बावजूद यह सब केवल दिखावा बनकर रह गया है, लोग आज भी टकटकी लगाये बैठे हैं कि कब उन्हें प्रखंडों के चक्कर लगाने से छुटकारा मिल पायेगा।

मौके पर अजय कुमार सिंह,दीपक कुमार,आशीष कुमार बाबुल,रितेश कुमार,शिवम कुमार,डिक्कू सिंह,ध्रुव कुमार,सक्षम कुमार,दिलखुश कुमार,बिभु सिंह,मोती कुमार सहित अन्य लोग मौजद थे।

कौनैन बशीर
वरीय उप संपादक

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