मधेपुरा/बिहार : होली का त्योहार मौज मस्ती का त्यौहार है. जब तक एक-दूसरे को रंग से सराबोर नहीं कर देते, तब तक होली खेलने का मजा पूरा नहीं होता है, लेकिन हमारे इस त्यौहार को सबसे पहले ग्रहण कब लगा जबरन कोरोना वायरस की देश में एंट्री हुई थी. लोगों में पहली बार होली को लेकर भय की लहर दौड़ी एवं लोग एक दूसरे के गले लगने एवं रंग लगाने से भी कतराने लगे. उक्त बातें बिहार के सुपर स्पेशलिटी संस्थान आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट सह जीआई सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो मनीष मंडल ने अपने पैतृक गांव मधेपुरा में शनिवार को प्रेस वार्ता के दौरान कही.
सावधानी में ही समझदारी, सोशल डिस्टेंस के साथ मनायें होली : प्रो मनीष मंडल ने कहा कि पिछले वर्ष होली का त्योहार फीका पड़ गया था. लोगों के अरमान अधूरे रह गए थे. लोगों ने सोचा था कि चलो कोई बात नहीं, अगले वर्ष 2021 में बढ़िया से होली मनायेंगे, लेकिन पिछले वर्ष होली से कोरोना का कहर जो चढ़ना शुरू हुआ वह वर्ष 2020 जाते-जाते कुछ थमा तो लोगों ने राहत की सांस ली. लोगों को यह लगा कि अब शायद इससे निजात मिल जायेगा. उन्होंने बताया कि जनवरी 2021 से कोरोना का नया स्ट्रेन आ जाने से मरीजों की संख्या अचानक फिर से दोबारा बढ़ने लगी है, जिससे सभी लोग हैरान हो गए हैं. ऐसे भी सावधानी में ही समझदारी है एवं सोशल डिस्टेंस के साथ होली मनाना अति आवश्यक हो गया है.
थ्री टी यानी, ट्रैकिंग, टेस्टिंग एवं ट्रीटमेंट अति आवश्यक : प्रो मनीष मंडल ने कहा कि नये कोरोना स्ट्रेन का प्रकोप महाराष्ट्र, केरल, पंजाब आदि राज्यों में सबसे अधिक पाई जा रही है. इस बार यह स्ट्रेन लोगों की सांस की नली में काफी तेजी से फैल रहा है. ऐसे में मधेपुरा एवं कोसी के भी लोग विभिन्न राज्यों में जाकर काम करते हैं. वे होली के त्यौहार में अपने गांव जरूर आयेंगे. इस कारण संक्रमण फैलने का खतरा अत्यधिक है. होली के मौके पर रंग-गुलाल उचित दूरी बनाकर खेलना बेहतर होगा. प्रो मनीष मंडल ने कहा कि किसी परिवार का कोई व्यक्ति दूसरे राज्य से होली के मौके पर घर पहुंचे हैं तो उसका कोरोना टेस्ट अति आवश्यक है. जिससे किसी के संक्रमित होने पर उसका इलाज किया जा सके एवं संक्रमण से दूसरे को भी बचाया जा सके. उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए थ्री टी यानी, ट्रैकिंग, टेस्टिंग एवं ट्रीटमेंट को अति आवश्यक बताया.
दूसरे राज्यों में जाने के बजाय करायें बिहार में बेहतर इलाज : प्रो मनीष मंडल ने कहा कि वर्ष 1983-84 में एम्स नई दिल्ली के तर्ज पर स्थापित राज्य का सुपर स्पेशलिटी संस्थान आईजीआईएमएस में किडनी, आंख, हार्ट, पेट ( लीवर, पैंक्रियाज आदि), फेफड़ा, न्यूरोलॉजी ( नस रोग), ऑर्थोपेडिक (हड्डी रोग) आदि का अत्याधुनिक जांच एवं इलाज की व्यवस्था है. साथ ही किडनी, कॉर्निया एवं लीवर का ट्रांसप्लांट भी किया जाता है. इसके लिए सरकार की ओर से अनुदान भी दिए जाते हैं. ऐसे में मधेपुरा एवं कोसी के लोगों को किसी बीमारी का इलाज कराने के लिए दूसरे राज्यों में जाने के बजाय, बिहार में ही बेहतर इलाज कराना चाहिये.