मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू मुख्यालय स्थित बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन में उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना और रोस्टर की अनदेखी की बात साक्ष्य सहित सामने आने के बाद भी कुलपति का मौन रहना और लगातार जांच में विलंब होना दर्शाता है कि दोषी पदाधिकारी को बचाने के लिए बड़े स्तर पर साक्ष्य मिटाने और मामले की लीपापोती की साजिश चल रही है, वहीं दूसरी ओर पीड़ित छात्रों के साथ न्याय के बजाय उन्हें दबाव में ले फीस वापस करने की भी जोर शोर से कोशिश चल रही है ।
उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राज्य उपाध्यक्ष सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने संगठन की विश्वविद्यालय इकाई द्वारा कुलसचिव को जांच टीम को समय सीमा निर्धारित करने और रिपोर्ट आने तक फीस वापसी की प्रक्रिया पर रोक लगाने के दिए अल्टीमेटम खत्म होने तक पहल नहीं होने पर संगठन द्वारा बीएनएमयू मुख्य द्वार पर विश्वविद्यालय प्रशासन के पुतला दहन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि संगठन के मांग के बाद भी विभाग अभी तक श्वेत पत्र जारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई जबकि एआईएसएफ अभी भी साक्ष्य सहित काला चिट्ठा जारी करने को तैयार है। सिंडीकेट निर्णय के एक माह बाद एआईएसएफ के आंदोलन के दबाव में अधिसूचना जारी करना और जारी होने के दस दिन बाद भी जांच कि पहल नहीं होना इसका प्रमाण है। छात्र नेता राठौर ने साफ किया कि इसमें जांच रिपोर्ट आने और दोषियों पर कारवाई नहीं होने तक संगठन संघर्ष करेगा।
एआईवाईएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य शंभू क्रांति ने इस अवसर पर कहा कि किसी कनीय को मोहरा बना वरीय दोषी पदाधिकारियों को बचाने की साजिश चल रही है। विश्वविद्यालय अगर ईमानदारी से इस मामले में संगठन की मांगों पर गौर करें तो विभाग कि कमियों को दूर किया जा सकता है। लगातार मांग के बाद भी साठ प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों व शत प्रतिशत कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने का प्रयास नहीं किया जा रहा है जिससे विभाग के काले सूची में शामिल होने का खतरा मंडरा रहा है वहीं उन्होंने कहा कि शिक्षा शास्त्र विभाग में विश्वविद्यालय द्वारा एक पदाधिकारी नियुक्त होने के बाद भी इस तरह की कमियों का होना व विवादों का आना उक्त पदाधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहे हैं। राज्य परिषद् सदस्य सह संयुक्त जिला सचिव सौरभ कुमार ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान कुलपति चाटुकारों के चंगुल में फंस गए हैं जिसके कारण वो कड़े फैसले नहीं ले पा रहे वहीं लिए फैसले प्रभावहीन साबित हो रहे हैं दस जनवरी तक डीआरसी की रिपोर्ट को एकेडमिक में जमा करने के उनके आदेश के एक माह बाद भी पचास प्रतिशत रिपोर्ट जमा नहीं होना इसका ज्वलंत प्रमाण है। संगठन को कुलपति से बड़ी उम्मीदें हैं लेकिन उनके स्तर से कारगर कदम नहीं उठाना आंदोलन को हर बार विवश करता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छात्रा नेत्री मौसम कुमारी ने कहा कि बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों में सरकार के आदेश के पालन करते हुए छात्रा व एससी,एसटी के नामांकन में लिए फीस को वापस किया जा रहा है जबकि बीएनएमयू में अभी तक यह शुरू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अब संगठन पूरी तरह से आर पार को तैयार है गर्ल्स हॉस्टल शुरू करने , पीजीआरसी कराने विश्वविद्यालय को चुस्त दुरुस्त करने का आश्वासन बयानों तक ही सिमट कर रह गया है।
पुतला दहन कार्यक्रम में अरविंद यादव, रोहित,रौनक,रौशन,संतोष,दीपक,चितरंजन,प्रिंस,राजकुमार, शाश्वत,आर के सिंहा,गौतम आदि उपस्थित रहे।