खेल, खिलाड़ी और खेल मैदानों का अस्तित्व बचाने की चुनौती

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मो० नियाज अहमद
ब्यूरो, मधेपुरा

मधेपुरा/बिहार : सूबे में खेल व खिलाड़ियों के विकास के लिए सरकार आए दिन नई-नई घोषणाएं कर रही है। कई योजनाएं भी चल रही है, लेकिन जब बात सूबे के कला संस्कृति, खेल की बात करें तो यहां खेल व खिलाड़ियों के विकास के लिए की गई घोषणाएं और चलाई जा रही योजनाएं दम तोड़ती नजर आएंगी। आलम यह है कि घोषणा के अनुरूप खेल के संसाधनों का विकास तो नहीं हो पाया लेकिन जो संसाधन पहले से मौजूद है, प्रशासनिक उदासीनता व उपेक्षा के कारण  उनका बंटाधार जरूर हो गया। इसका जीता जागता उदाहरण जिले का इकलौता बी एन मण्डल स्टेडियम है।

जिले का एक मात्र प्रतिष्ठित स्टेडियम वर्षों से रख रखाव के इंतजार में है, शहर का बीएन मण्डल स्टेडियम किसी भी बड़े खेल आयोजन का एकमात्र केंद्र है। आये दिन यहां कोई न कोई बड़ा टूर्नामेंट होते रहता है। बड़े सरकारी आयोजन हो या राजनीतिक कार्यक्रम, इस स्टेडियम को ही विकल्प के रूप में चुना जाता है।

राष्ट्रीय खेल दिवस पर “द रिपब्लिकन टाइम्स” की टीम ने  जब जिला मुख्यालय में खेल से जुड़े बिंदुओं पर पड़ताल की तो कई बातें सामने आईं, कहीं व्यवस्था में व्यापक स्तर पर कमी देखी गई तो कहीं कोच व प्रशिक्षण ले रहे प्लेयर्स के दर्द भी सामने आए ।

कई स्थानीय चर्चित प्रतिभाओं को तराशने वाले कोच शंभू कुमार ने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियां बिहार पुलिस, दरोगा, रेस आदि की तैयारी करती हैं लेकिन जिले का एकमात्र बी एन मण्डल स्टेडियम में कमियों का अंबार है। खेल से ज्यादा अन्य चीजों के लिए इसका प्रयोग होता रहता है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन द्वारा सकारात्मक सहयोग मिले तो और अधिक प्रतिभाएं उड़ान भर सकती हैं।

कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त धाविका ललिता ने कहा स्टेडियम में कुछ सुधार की जरूरत है। पानी निकासी और ट्रैक को अगर समतल करा दिया जाए तो बहुत परेशानी दूर हो जाएगी। वहीं उन्होंने शौचालय की कुव्यवस्था पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उसके सफाई और रख रखाव के लिए कारगर व्यवस्था नहीं होने से काफी दिक्कत आती है। अभिषेक मौजूद अन्य लड़के और लड़कियों ने कहा कि यहां किसी खेल का समय सारणी नहीं है, जिसके कारण बहुत दिक्कत आती है अगर सबका समय अलग अलग निर्धारित हो जाए तो बहुत आसानी रहेगी। वहीं लड़कियों ने कहा कि जब वो सुबह शाम यहां दौड़ने आती हैं, तब स्टेडियम में रह रहे प्रशासन के लोग खुले में स्नान करते हैं जिससे बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। नल के चारो ओर चारदीवारी की जरूरत है।

टेबल टेनिस संघ के जिला सचिव और राज्य स्तर पर चर्चित कोच प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर कहा कि वर्तमान दौर में खेल के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं, लेकिन कई स्तरों पर सरकारी व अन्य उदासीनता के कारण प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पाती। राज्य व राष्ट्र स्तर पर लगातार कई प्रतिभाओं को भेजने वाले श्री श्रीवास्तव ने कहा कि पहले राज्य में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान लाने वाले प्लेयर्स को पांच हजार से ज्यादा का स्कालरशिप मिलता था जिसे व्यापक स्तर पर ले जाने के बजाय कई सालों से बन्द कर दिया गया है। वहीं उन्होंने कहा कि जिले में एक सुव्यवस्थित इंडोर स्टेडियम है लेकिन प्रशासन द्वारा बिजली बिल देने में बरती जा रही कोताही  के कारण उसका उपयोग खेल में सही से नहीं हो पा रहा है और इच्छुक प्लेयर्स को समुचित रूप से ट्रेनिंग लेने में दिक्कत उठानी पड़ती है। वहीं उन्होंने कहा कि बहुत पहले से बनकर तैयार जिले का सबसे बड़ा आडिटोरियम अभी तक जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण शुरू नहीं हो पाया जिससे बड़े आयोजनो में दिक्कत होती है।

अंत में “द रिपब्लिकन टाइम्स परिवार की ओर से  हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती” और राष्ट्रीय खेल दिवस की सबको बधाई ।


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