मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर को उप कुलसचिव अकादमिक की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। वे अकादमिक निदेशक डा एमआई रहमान को सहयोग करेंगे। कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद ने इस आशय की अधिसूचना जारी की है।
मालूम हो कि डा सुधांशु शेखर ने जून 2017 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा में दर्शनशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में योगदान दिया था, इसके कुछ ही दिनों बाद अगस्त 2017 में इन्हें विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी गई थी। इस भूमिका में इन्होंने काफी सराहनीय काम किया। डा शेखर ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास में भी काफी योगदान दिया है। इनके प्रयास से भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद से भारतीय दार्शनिक दिवस एवं विश्व दर्शन दिवस के आयोजन के लिये अनुदान प्राप्त हुआ, साथ ही बिहार दर्शन परिषद का 42 वां राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित भी प्रस्तावित है, ये दर्शन परिषद बिहार के संयुक्त मंत्री एवं मीडिया प्रभारी की भूमिका भी निभा रहे हैं।
डा शेखर ने आठ किताबों का किया संपादन : डा शेखर ने शोध, शिक्षण एवं लेखन-संपादन में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ये भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के प्रोजेक्ट फालो रहे हैं। इनकी तीन पुस्तकें गांधी-विमर्श 2015, सामाजिक न्याय : अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ 2014 एवं भूमंडलीकरण और मानवाधिकार 2017 काफी लोकप्रिय हैं। इन्होंने आठ किताबों का संपादन किया है, इनके दो दर्जन से अधिक शोध-पत्र और लगभग एक दर्जन रेडियो वार्तायें प्रसारित हुई हैं। इन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिये रिपोर्टिंग भी की है एवं आलेख एवं फीचर लिखते रहें हैं।
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर से बने उप कुलसचिव अकादमिक : डा शेखर की प्रारंभिक शिक्षा उनके नानी गांव खगड़िया जिले के माधवपुर के एक साधारण सरकारी विद्यालय से शुरू हुई थी। इन्होंने श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय नयागांव खगड़िया से मैट्रिक एवं एसएसपीएस काॅलेज शंभूगंज बांका से इंटर किया। इस तरह इंटरमीडिएट तक इनकी पढ़ाई लिखाई साधारण संस्थानों से हुई, जिसके बाद इन्होंने टीएनबी काॅलेज भागलपुर से स्नातक किया। इन्होंने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर से स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है, इस तरह इनकी स्नातक से लेकर पीएचडी तक की डिग्री एक छोटे से शहर भागलपुर से हुई। एक साधारण परिवार में जन्म लेने एवं सामान्य संस्थानों से पढ़ाई करने के बावजूद इन्होंने अपनी मेहनत के दम पर शैक्षणिक उपलब्धियों को हासिल किया. बीपीएससी से असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में चयनित हुये एवं जनसंपर्क पदाधिकारी एवं उप कुलसचिव अकादमिक के पद तक पहुंचे।