मधेपुरा : संगीत व नाट्यशास्त्र की पढ़ाई शुरू करने की मांग

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में रंगकर्मियों द्वारा बदलाव की एक बड़ी पटकथा लिखने की कोशिश की जा रही है, स्थापना काल से ही बीएनएमयू में संगीत व नाट्यशास्त्र नहीं हो पाने से यहां के रंगकर्मियों एवं छात्रों को दूसरे विश्वविद्यालय का सहारा लेना पड़ता है। मांग कर रहे सभी रंगकर्मियों एवं छात्रों का कहना है कि यह मधेपुरा की अस्मिता का सवाल है, जब दरभंगा-मधेपुरा (कमला-कोसी) एक हो गयी है, तो वहां की तरह शिक्षा का स्तर भी क्यों न एक हो? संगीत व नाट्यशास्त्र संयुक्त मिथिला की पहचान है, इस पहचान को बीएनएमयू में बनाये रखने की जरूरत है।

 इसी मांग को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर जिले के रंगकर्मियों ने बीएनएमयू कुलपति प्रो डा ज्ञानंजय द्विवेदी से मिलकर बीएनएमयू में संगीत व नाट्यशास्त्र विषय की पढ़ाई शुरू करने को लेकर घंटों बातचीत की।  रंगकर्मियों ने कहा कि कोसी, मिथिला, अंग जनपद का यह हिस्सा कला संस्कृति, साहित्य व संगीत के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, लेकिन बीएनएमयू के स्थापना के 28 वर्ष बाद भी स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर संगीत व नाट्यशास्त्र की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है, जबकि इसको लेकर कई वर्षों से लगातार स्थानीय स्तर पर मांग की जाती रही है। वर्ष 2017 में उसको लेकर व्यापक स्तर पर मुहिम छेड़ी गई थी एवं तत्कालीन कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय ने अगले सत्र से पढ़ाई शुरू करवाने की बात भी कही थी। इसके अलावा कई बार यह मुद्दा एकेडमिक काउंसिल, सीनेट, सिंडीकेट में भी उठा, लेकिन जमीनी स्तर पर काम शुरू नहीं हो पाया।

 कुलपति के साथ चली लगभग एक घंटे की मुलाकात में रंगकर्मियों ने यह भी कहा कि बीएनएमयू के पैतृक विश्वविद्यालय एलएनएमयू दरभंगा में इन विषयों की पढ़ाई पूर्व से होती आ रही है, अपना दर्द बयां करते हुये रंगकर्मियों ने कहा कि यहां पढ़ाई नहीं होने के कारण यहां के इच्छुक छात्रों को दूसरे विश्वविद्यालयों में भटकना पड़ता है। कुलपति से उनलोगों ने यह भी मांग किया कि बीएनएमयू में पढ़ाई शुरू होने से जहां स्थानीय छात्रों को भटकना नहीं पड़ेगा, वहीं स्थानीय कलाकारों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे एवं कला संस्कृति के संरक्षण को बल मिलेगा।

 रंगकर्मियों के शिष्टमंडल से वार्ता करते हुये कुलपति प्रो डा ज्ञानंजय द्विवेदी ने भी इसे उपयोगी बताते हुये मामले को लेकर आगे की कार्रवाई के लिये अग्रेषित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से कला संस्कृति के क्षेत्र में भी अनेकानेक विकल्प प्राप्त होंगे। उन्होंने आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन इसके लिए लगातार प्रयासरत है, राजभवन एवं राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है, इसके लिए संपर्क पदाधिकारी डा इम्तियाज अंजुम को विशेष रूप से अधिकृत कर जिम्मेदारी दी जायेगी।

 कुलपति से मिलने वाले शिष्टमंडल में रंगकर्मी सुनीत कुमार, मो शहंशाह, अमित अंशु, अमित आंनद, अक्षय कुमार सोनू, मनीष कुमार शामिल थे।


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