दरभंगा/बिहार : भाकपा-माले जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने आज प्रेस बयान जारी कर कहा है कि प्रवासी मजदूरों, कामकाजी हिस्से और आम लोगों को अधर में छोड़कर भाजपा-जदयू चुनावी कार्यों में व्यस्त हो गई हैं, जबकि कोरोना का संक्रमण बिहार में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। बिहार सरकार ने आम लोगों के प्रति अपनी जवाबदेही से मुंह मोड़ लिया है। इस बीच क्वारंटाइन सेंटरों को भी खत्म किया जा रहा है। शायद ही कहीं क्वारंटाइन सेंटरों से लौट रहे मजदूरों को घोषित 2000 रु. मिला हो।
बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों को सरकार ने रोजगार देने की बात कही थी लेकिन हकीकत में वह उलटा काम कर रही है। आर्थिक मंदी की वजह से पटना सिटी में एक आॅटो ड्राइवर ने आत्महत्या कर ली है। बिना प्लान के किए गए लाॅकडाउन ने बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार छीन लिया है। इन हत्याओं के लिए भाजपा-जदयू नहीं तो और कौन जिम्मेवार है? हमारी मांग है कि मृतक परिजन को 20 लाख रुपये का मुआवजा सरकार तत्काल उपलब्ध करवाए। बिहार में कोरोना टेस्ट की गति बहुत ही धीमी है। कम जांच कराके संभवतः सरकार लोगों में यह भ्रम फैलाकर रखना चाहती है कि बिहार में कोरोना संक्रमण काफी कम है। बिहार लौटे 30 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों की भी कोरोना जांच अब तक नहीं हुई है।
भाकपा-माले मांग करती है कि इस विकट दौर में बिहार सरकार सबसे पहले कोरोना और आर्थिक तंगी से जूझ रही आम जनता की जिंदगी बचाने के लिए काम करे। आयकर के दायरे से बाहर सभी लोगों के लिए सरकार एकमुश्त 10 हजार रुपये का लाॅकडाउन भत्ता, योग्यता के अनुसार सभी प्रवासी मजदूरों को रोजगार, सभी मजदूरों को प्रति व्यक्ति 10 किलो राशन उपलब्ध करवाने को अपनी प्राथमिकता दे। साथ ही काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने का प्रावधान वापस ले। मनरेगा के तहत 200 दिन काम और न्यनूतम 500 रु. दैनिक मजदूरी की गारंटी करे।