दरभंगा/बिहार : वर्तमान परिस्थिति में कोरोना ने तमाम रिश्ते नाते की पहचान करा दी है। कौन अपना और कौन पराया है, इस हालात ने सही पहचान करा दिया है। एक 37 वर्षीय युवक मो.लाडले की मौत इसका जीता जागता उदाहरण है। कोरोना संक्रमित होने की शक में और समुचित चिकित्सा के अभाव में तड़प तड़प कर उसकी मौत बीती रात हो गई।
उसकी संदिग्ध मौत शुक्रवार की रात 8 बजे बिशनपुर थाना क्षेत्र के पंचोभ पंचायत अन्तर्गत शिवदासपुर में हो गई। ग्रामीणों के मुताबिक लाडले लॉक डाउन समाप्त होने के बाद 2 जून को दिल्ली से अपने गांव सिंहवाड़ा आया था। उसे दिल्ली से बुखार हो रहा था। घर आने के बाद उसने ग्रामीण चिकित्सकों से इलाज का फरियाद किया, लेकिन उसके दिल्ली से आने की बातें सूनकर किसी ने उसका इलाज नही किया। बेबस पत्नी रब्बो खातून अपने बीमार पति को लेकर सिंहवाड़ा से अपने पिता जमील अख्तर के यहां शिवदासपुर लेकर शुक्रवार की सुबह पहूंची। लेकिन खांसी के साथ बुखार लगने तथा दिल्ली से आने की बात जानकर यहां भी किसी ने उसका इलाज करना मंजूर नही किया।
उसकी बिगड़ती हालत को देख पंचायत के मुखिया राजीव चौधरी ने हनुमाननगर पीएचसी प्रभारी डॉ. रामप्रवेश चौधरी को सूचित किया, परन्तू उन्होंने लॉक डाउन खत्म होने की बातें कहकर उसे एम्बुलेंस के बदले निज संसाधनों से इलाज हेतू डीएमसीएच ले जाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। मुखिया ने इसकी सूचना बीडीओ सुधीर कुमार को दी, परन्तू उन्होंने भी उसकी कोई सहायता नहीं की। अन्ततः उसकी संदिग्ध मौत इलाज के अभाव में हो गई।
आलम यह है कि कोरोना से मृत्यु होने के संदेह में 21 घंटे से उसकी लाश घर में पड़ी है, जिसको दफनाने वाला कोई नहीं है। मुखिया की पहल पर गांव के कुछ युवक तैयार भी हुए तो रही सही कसर मृतक के माता-पिता जो लखनऊ में रहते हैं, के द्वारा मोबाईल से उसके आने तक लाश न दफनाने की धमकी ने पुरी कर दी । इसके कारण पुरे गांव के लोग दहशत में हैं।
समाचार लिखे जाने तक मृतक के माता-पिता के आने के इंतजार में उसकी लाश पड़ी है। मृतक अपने पीछे पत्नी और दो लड़का तथा एक लड़की छोड़ गया है। जिसमें सबसे बड़ा लड़का छः वर्ष का है।