पूनमसिंह राठौड़ एक्ट्रेस हैं। क्षेत्रीय से लेकर हिंदी सिनेमा तक में काम कर चुकी हैं। सीरियल भी करती रही हैं। लेकिन रील लाइफ से बाहर रीयल लाइफ में इनकी पहचान कुछ अलग ही है। पटना के अस्पतालों में भी यह दिख जाती हैं। अपना इलाज कराने नहीं, बल्कि दूसरों की मदद के लिए। यह आदत बन गई है इनकी। इनके इसी सेवाभाव के कारण कई बड़े अस्पतालों के बड़े डॉक्टर इन्हें अब समाज सेविका के रूप में भी पहचानने लगे हैं और दूसरों के सामने इनका परिचय भी इसी रूप में कराते हैं।ऐसे ही एक परिचय के बाद सामने आया कि कैसे असम के लामडिंग शहर में जन्म लेने वाली पूनम बिहार आईं और कैसे एक्टिंग के साथ समाजसेवा में रम गईं। पूनम के पिता वीर बहादुर सिंह रेलवे में चीफ विजिलेंस ऑफिसर थे।
शुरुआती शिक्षा असम में ही हुई। पिताजी का ट्रांसफर गुवाहाटी हुआ तो यहीं राजकीय महाविद्यालय से इंटरमीडिएट तक पढ़ीं। फिर बिहारियों के खिलाफ हिंसा का दौर चला तो महज 16 साल में शादी कर दी गई। एक वाकया याद करते हुए बताती हैं कि कैसे 10वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान स्कूल के वार्षिक समारोह में वहां के नामी लोगों ने इन्हें राधा का किरदार निभाते देखा तो असम फिल्म की लीड हिरोइन के लिए चुन लिया। पिताजी ने रोल करने से मना कर दिया तो काफी दुख हुआ।
यह दुख कम तब हुआ जब दूरदर्शन पर प्रसारित एक कार्यक्रम में राधा का किरदार निभाने को मिला और इसकी प्रशंसा के साथ ही कई ऑफर आए। अनूप अरोड़ा, शक्तिमान की गीता बिश्वास, मोहन जोशी, दीपक भाटिया, पी. के. तिवारी के साथ काम चुकीं पूनम को मैथिली भाषा की फिल्म मिथिला मखान के लिए नेशनल अवाॅर्ड मिल चुका है। भोजपुरी में दीदी तोरा देवरवा पर मनवा डोले, देख के, माही, प्रेमरोग, जान तू जहान तू जैसी फिल्में कीं तो हिंदी की भी फिल्में कर चुकीं पूनम सिंह राठौड़ को सीरियल अरे भई धत् तेरे की, दुलारी, दुल्हन वही जो सबके मन भाये के साथ ही टेलीफिल्म मृगतृष्णा, उजाले की ओर, बंधन, अभिशाप और शॉर्ट फिल्म बसेरा, सुसाइड, रेड रोज़, धुंध आदि ने भी खूब शोहरत दिलाई। लेकिन, समाज में इनकी अलग पहचान बनी मरीजों की सेवा से।
पूनम बताती हैं कि 2001 में पटना आईं। 2007 में अखबार में देखा कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किसी मरीज को आर्थिक मदद की दरकार थी। उससे मिलने पहुंच गईं। चूंकि खुद भी किडनी ब्लॉकेज का ऑपरेशन झेल चुकी थीं इसलिए इस दर्द को समझती थीं। उस मरीज की मां से बात की तो मन ऐसा व्यथित हुआ कि उसका डायलिसिस शहर के एक बड़े निजी अस्पताल में कराने के लिए जीजान लगा दी। डॉ. सत्यजीत सिंह ने मेरी मेहनत को देखा तो उस मरीज का बेड चार्ज और ट्रीटमेंट फ्री कर दिया। इसके बावजूद खर्च इतना था कि रोके नहीं रुक रहा था। अपना गहना बेचकर ट्रीटमेंट में लगी रही। गहना बेचने के कारण उस समय घर छोड़ने तक की नौबत गई। उस मरीज को अपने घर में लाकर रखा, उसकी सेवा की। बच्चों ने फिर समझाया कि तुम अगर एक्टिंग का शौक रखती हो तो वही करो।
इलाहाबाद बैंक में कार्यरत पति शैलेश कुमार सिंह ने भी साथ दिया। हॉर्लिक्स क्विज और डांसिंग सुपरस्टार को तीन साल से जज कर रहीं पूनम को पिछले दिनों कौन बनेगा डांसिंग सुपरस्टार में सेलिब्रिटी जज के रूप में भी रखा गया। बड़ा बेटा प्रतीक अमेरिका में आईटी इंजीनियर है और छोटा प्रकाश बीआईटी मेसरा से एनिमेशन पढ़कर दिल्ली में सीनियर ग्राफिक डिजाइनर के रूप में कार्यरत है। ऐसे में पूनम अब पति के साथ पटना में रहते हुए हर समय अखबारों से जुड़ी रहती हैं। किसी भी जरूरतमंद मरीज की कहानी दिखती है तो उसके इलाज को तत्पर हो जाती हैं।एक्ट्रेस पूनम सिंह राठौड़ को अक्सर इस तरह मदद करते हुए लोग देखते हैं, लेकिन खास बात है कि यह मरीजों के लिए सबसे ज्यादा आगे रहती हैं। वैसे, बच्चों से इनका लगाव भी देखते बनता है।