सीतामढ़ी/बिहार :; जिले के परिहार प्रखंड के बसवरिया रैन पर लगातार 17 दिनों से हिंदू मुस्लिम एकता मंच के तत्वाधान में नागरिकता संशोधन कानून, एन आर पी, एन आर सी के विरोध मे धरना प्रदर्शन जारी है। आज धरना प्रदर्शन मेंं डॉ राम चंद्र पुर्व एंव डॉ रंजना पुर्व ने शामिल होकर पुरजोर समर्थन किया।
धरना को संबोधित करते हुए डॉ राम चंद्र पुर्व ने कहा कि संविधान मे धरम के आधार पर नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं है। नागरिकता संशोधन कानून जो बनाया गया है, वह भारत के संविधान के प्रस्तावना के विरुद्ध है। यह काला कानून है, सरकार इस कानून को वापस ले। एन आर सी को हिंदुस्तान के लोग बरदाश्त नहीं करेंगे। नीतीश कुमार धरम के नाम पर समाज को बांटने वाले लोग के साथ है। हमें इन दोनों से सचेत रहने की जरूरत है। हिंदुस्तान की जनता अब इनके बहकावे में नहीं आने वाली है। आम जनता का मंहगाई की मार से बुरा हाल है। नौजवानों के पास रोजगार नहीं है। हर मोर्चे पर सरकार विफल है। देश का विकास दर कम हो गया है। सरकार को देश के विकास पर धयान देना चाहिए।
वहीं डॉ रंजना पुर्व ने कहा कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है। हम आपके साथ है। धरना प्रदर्शन मे हमारी जब भी आवश्यकता महसूस होगी, अपने साथ हमे भी खड़ा पायेंगे। हम इस धरना प्रदर्शन को पुरज़ोर समर्थन करते हैं। देश को आजाद कराने मे सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ने कुरबानी दी है। सबका योगदान बराबर है। इस देश पर सबका हक है। धरम के नाम पर नागरिकता नहीं जांची जानी चाहिए और न देना चाहिए। इस काले कानून का हम विरोध करते हैं। जब तक वापस नहीं होगा इसके विरोध मे शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा। अंबेडकर के बनाए संविधान पर हमला बरदाश्त नहीं होगा। गांधी और गोडसे दोनों को मानने वालों की कलई खुल गई है। गांधी के हत्यारे इनहे प्यारा है ।
उन्होंने कहा कि समाज को बांटने वालो की आवश्यकता नहीं, समाज को जोडने, समाज और देश को विकास के राह पर ले जाने की जरूरत है। देश को मंहगाई और बेरोजगारी से मुक्ति चाहिए। नौजवान पढ लिख कर नौकरी के लिए भटक रहे हैं। केन्द्र सरकार अपनी विफलताओं की छिपाने के लिए हमे उलझाए रखना चाहती है। नीतीश जी उनका साथ निभा रहे हैं। जनता अब इन लोगों के बहकावे मे नहीं आने वाली । रंजना पुर्व के संबोधन ने धरना मे बैठी महिलाओं मे जान फूंक दी।
धरना मे शिव चंद्र मंडल, अशेशवर राय, सुरेन्द्र प्रसाद यादव, पवन मंडल, कृति सहनी, आलमगीर, संजय पुर्व, उसमान, मौलाना जयाउल मुस्तफा, अबदुल मजीद, मो तमन्ने समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।