बिहार में सुशासन सठिया गया है । पुलिस -प्रशासन का दिमाग काम नहीं कर रहा है । समाज में शांति और सौहार्द कायम करने वाली पुलिस-प्रशासन ही ऐसे -ऐसे आदेश जारी कर रही है जिससे धर्म तथा आस्था चोटिल हो रहा है ।
ज्ञातव्य है कि इन दिनों बिहार में अपराध सर चढ़कर बोल रहा है । आमलोगों को छोड़िए पुलिस – प्रशासन को भी अपराधकर्मी खुली चुनौती दे रहा है । ऐसे माहौल में महापर्व छठ का आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से कैसे संपन्न कराया जाए इस मसले पर प्रशासन का दिमाग काम नहीं कर रहा है । उच्चाधिकारी ऐसे -ऐसे आदेश जारी कर रहे हैं जिससे आस्था चोटिल और साम्प्रदायिक सौहार्द कलंकित हो रहा है ।
सनद रहे कि महापर्व छठ के मद्देनजर समस्तीपुर एसपी का एक शर्मनाक फरमान प्रकाश में आया है । इस बाबत सोशल मीडिया पर एक शपथ पत्र तेजी से वायरल हो रहा है जिसे आस्था पर कुठाराघात ही कहा जा सकता है । एसपी के आदेश पर छठ मनाने के लिए छुट्टी मांगने वाले पुलिसकर्मियों से एक शपथ पत्र लिया गया जिसमें लिखवाया गया है – ” हे छठी मैया! अगर मैं झूठ बोलकर छुट्टी ले रहा हूँ तो उसी समय मेरे बच्चे एवं मेरा समस्त परिवार घोर विपत्ति में आ जाए । ” इससे शर्मनाक और आस्था को ठेस पहुंचाने वाली बात और क्या हो सकती है । जो पुलिसकर्मी अपने घर परिवार को छोड़कर दिन रात देश की सेवा में लगे रहते हैं उस पर उनके ही कप्तान अविश्वास करें और घर -परिवार पर विपत्ति की बात करें तो कहने सुनने के लिए रह ही क्या जाता है । एसपी के उक्त फरमान पर पुलिसकर्मियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है । बिहार पुलिस मेंस यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने इसे आस्था पर कुठाराघात बताते हुए दोषी अधिकारी पर कार्रवाई की मांग किया है, जबकि सोशल मीडिया यूजर्स इस फरमान को शासन की नाकामी बता कर गुस्से का इजहार कर रहे हैं ।
इस तरह का मामला किसी एक जिला का हो तो इत्तेफाक समझकर दरगुजर भी किया जा सकता है लेकिन यहां तो ऐसे शर्मनाक मामले का सिलसिला जारी है । छठ पर्व के मद्देनजर मधेपुरा जिला प्रशासन ने अपने मातहतों के लिए जो संयुक्त आदेश जारी किया है वह और भी आपत्ति जनक है । जिला गोपनीय शाखा ने ज्ञापांक 2580 दिनांक 30 . 10 . 2019 द्वारा मधेपुरा डीएम और एसपी के हस्ताक्षर से जो संयुक्त आदेश जारी किया है उसमें खास धर्म वो समुदाय को कोट किया गया है । आदेश में धर्म और समुदाय का स्पष्ट नाम लेकर कहा गया है कि अमुक महल्ले में पानी गिराने तथा अमुक समुदाय के शरारती तत्वों के द्वारा छठव्रती महिलाओं तथा उनके परिजनों के साथ गलत व्यवहार के कारण तनाव उत्पन्न होता है । सनद रहे कि छठ के दौरान इस तरह के मामले कभी भी संज्ञान में नहीं आए हैं । बावजूद इसके जिला प्रशासन के सर्वेसर्वा ही खास धर्म को टार्गेट कर बदनाम कर रहे हैं।
उक्त बाबत बुद्धिजीवियों का कहना है कि प्रशासन के इस आदेश से जिला सौहार्दपूर्ण वातावरण पर अविश्वास का धुंध फैलेगा । लोगों ने प्रशासन पर अपनी विफलता का ठिकरा दूसरे पर फोड़ने का भी आरोप लगाया है । ध्यातव्य है कि विगत दिनों अपराधियों को गिरफ्तार करने गए मधेपुरा सदर पुलिस के जवान डब्ल्यू कुमार और मुरलीगंज के एएसआई श्यामदेव ठाकुर पर अपराधियों ने कातिलाना हमला कर पुलिस प्रशासन को चुनौती दिया था । जिला प्रशासन इस घटना से उबर भी नहीं सका था कि महापर्व छठ का आयोजन सर चढ़ बैठा । लिहाजा बदहवास प्रशासन ने सौहार्द कायम करने के बजाय खास धर्म वो समुदाय को ही टार्गेट पर ले लिया ।
इस बाबत राष्ट्रीय जनता दल के राज्य सभा संसद मनोज कुमार झा ने डीएम और एसपी के इस संयुक्त आदेश पर सख्त नाराजगी दिखाया है, उन्होंने Tweet कर लिखा है कि “आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी आपसे आग्रह है कि कृपया मधेपुरा जिलाधिकारी के इस आदेश के चिन्हित पंक्तियों को पढ़ें और तय करें कि क्या इस प्रकार के पूर्वाग्रह और विद्वेष से भरे आदेश से सामाजिक तानाबाना नहीं टूटता है?”
वहीँ राजद प्रदेश महासचिव इ. प्रभाष कुमार ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अपने संयुक्त आदेश में जिस तरह से डीएम और एसपी ने एक धर्म विशेष को टार्गेट किया है, इसकी जितनी निंदा की जाय कम है, ऐसे पदाधिकारी पर कारवाई होनी चाहिए।