मधेपुरा/बिहार : भले ही शिक्षा विभाग आधुनिक शिक्षा का दावा कर रहा हो, लेकिन यह शिक्षा योजना धरातल पर है या नहीं। आधुनिक शिक्षा देने के नाम पर जिलेभर के सरकारी स्कूल में स्थापित की गई लैबों में कंप्यूटर विभाग की लापरवाही के कारण धूल फांक रहे हैं।
हालात इतने बुरे हो गए हैं कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। जिले में कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां पर कंप्यूटर लैब तो है, लेकिन बच्चों ने आज तक कंप्यूटर को ऑन-ऑफ तक करके नहीं देखा है।
ऐसा ही एक मामला जिले चौसा प्रखंड के जनता हाई स्कूल में लाखो रुपये की लागत से निर्मित कंप्यूटर कक्ष का है जहाँ विभागीय लापरवाही के कारण लाखों रूपये की कंप्यूटर धूल चाट रहे है।
बताया जाता है कि बिहार सरकार के द्वारा वर्ष 2012 में हाई स्कूल में बच्चों को कंप्यूटर ज्ञान देने के उद्देश्य से लाखों रुपये खर्च कर आई एल एफ एस कंपनी द्वारा करीब एक दर्जन कंप्यूटर लगाया गया था और स्कूल छात्र छात्राओं कम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए एक कंप्यूटर टीचर पाँच वर्ष के अनुबंध पर बहाल किया गया था। जिस का अनुबंध पिछले वर्ष 2017 में पूरा हो गया और उनको हटा दिया गया। लेकिन पिछले दो वर्षों से यहाँ लगाए गए कम्प्यूटर शिक्षक के अभाव में सिर्फ शोभा की वास्तु समान है।
इस बाबत जनता हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद यादव बताते है कि इसकी लिखित जानकारी जिला को भेजी गई है और अनुमंडल पदाधिकारी भी स्कूल का औचक निरीक्षण करने कई बार आए हैं जिन्हें इस मसले से अवगत भी कराया गया लेकिन कंप्यूटर शिक्षक को बहाल अबतक नहीं किया। इसके अलावा इस स्कूल में वर्षो से उर्दू और संगीत के शिक्षक भी नही है जिस कारण बच्चे उर्दू और संगीत की शिक्षा से वंचित हो रहे हैं ।