सहरसा : भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पूर्व रोज ग्रामीणों द्वारा गायी जाती है नारदी

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19 वी सदी के शुरुआत हुई परम्परा को गांव की चौथी पीढ़ी भी आगे ले जाने को है तत्पर 

कृष्ण मंदिर में मांगी हर मुराद होती है पूरी , इसलिए गांव का नाम रखा गया मुरादपुर 

राजा कुमार
ब्यूरो सहरसा, बिहार

सहरसा/बिहार : बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत मुरादपुर गांव स्थित श्री कृष्ण मंदिर में  कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन किया गया है। जहां श्री कृष्ण के जन्म से एक पखवारे पूर्व से ही ग्रामीणों द्वारा प्रारंपरिक धोती पहन कर एवं जनेऊ धारण कर श्री कृष्ण के जन्म लेने के लिए लोक गायन नारदी को गा कर उनकी स्तुति की जाती है। यह 19 वी सदी के पूर्व से चली आ रही नारदी … लोक गायन की कला को मुरादपुर के ग्रामीण कलाकारों द्वारा ही पीढ़ी दर पीढ़ी संजोई चली आ रही है।

गांव के माहेश्वर ठाकुर, गुलाब ठाकुर, विजय ठाकुर, हीरा शर्मा, कारी दास, नंदन चौधरी, ललित झा, ललन ठाकुर, लड्डू ठाकुर, दिवाकर ठाकुर, संतोष ठाकुर, बम भोला ठाकुर, माधव मिस्त्री, अनंत ठाकुर, शिव शंकर झा, ललित नारायण झा, विजय झा, अनंत मिश्रा सहित अन्य नारदी गायकों ने बताया कि नारदी भजन कीर्तन उनकी संस्कृति रही है। जिसमें श्री कृष्ण को अवतार लेकर आने के लिए गायन व लोक नृत्य के माध्यम से आहवान किया जाता है। इसके हर बोल में भक्तों के दर्द को जताते हुए उन्हें धरती पर आकर उनके कष्ट को दुर करने की प्रलाप होती है। इसके गायन की प्रंरपरा इसकी अलग पहचान दिखाती है। जो किसी भी कला से अलग होती है। इसलिए इस संस्कृति कि रक्षा मुरादपुर के युवाओं द्वारा की जा रही है । गांव के युवा पीढ़ी भी इस कला को संजोए आगे बढ़ा रहे है। अब गांव की चौथी पीढ़ी में भी यह परंपरा जीवित है । 

मुरादपुर को छोड़कर यह संस्कृति कहीं नहीं अब देखने को मिल रही है। नारदी भजन मुरादपुर की पहचान है। साथ ही गांव के जागृत कृष्ण मंदिर में मांगी हर मुराद पूरी होती है । इस कारण पूर्वजों ने गांव का नाम मुरादपुर रखा था।वही मूर्तिकार मोहन के परदादा व दादा ही इस मंदिर में मूर्ति बनाते आए हैं। मूर्तिकार की तीसरी पीढ़ी मोहन मिस्त्री इस साल मूर्ति का निर्माण किया है।  


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