मोदी सरकार की अति महत्वाकांक्षी “प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना” झुनझुना साबित, सैकड़ों लोगों ने योजना का किया बहिष्कार, कार्ड लौटाने की धमकी

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राजा कुमार
ब्यूरो सहरसा, बिहार

सहरसा/बिहार : जिले के सत्तरकटैया प्रखंड के लोगों ने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का बहिष्कार करते हुए विरोध किया है। जिसके तहत गरीब लोंगों को 5 लाख तक निशुल्क इलाज होने का सरकार द्वारा दावा किया गया है लेकिन आलम यह है कि प्रधानमंत्री  आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों का इलाज किसी भी स्वास्थ्य केन्द्रों पर नहीं किया जा रहा है लिहाजा लोगों की नजर में मोदी सरकार की अति महत्वाकांक्षी “प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना” झुनझुना साबित हो रही है ।

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समाज के अंतिम पायदान पर बसे लोंगों तक योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए सरकार कृत संकल्पीत है लेकिन जहाँ तीन हिस्सा लोग दवाई पर जिन्दा हो वहाँ इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है ।  

कोशी प्रक्षेत्र के लाखों लोग कार्ड लिए घूम रहे है लेकिन सहरसा, सुपौल और मधेपुरा जिले के बाढ़ पीडितों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है । कर्ज लेकर ईलाज करवाने को लोग मजबुर हैं और जिनके पास कर्ज लेने की औकात नहीं है वह ऐसे ही दम तोड़ देते है ।

इसी मामले को लेकर जिले सत्तर कटैया प्रखंड के लोगो ने आज आयुष्मान भारत योजना कार्ड को फूल और अगरबत्ती दिखाकर अपना आक्रोश प्रकट करते कहा कि अगर 5 सितंबर तक सरकार प्राईवेट नर्सिंग होम में ईलाज की व्यव्स्था प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत नहीं करती है तो सभी कार्ड धारी अपना अपना कार्ड डाक द्वारा प्रधानमंत्री को लौटा देंगे।

इस बाबत पूर्व जिला पार्षद प्रवीण आनंद ने कहा कि सरकार को जमीं पर नजर रखने की जरूरत है । सबसे ज्यादा बीमारी और बिमार लोग कोशी प्रक्षेत्र में रहते हैं यहाँ के अधिकांश लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं चारों ओर बीमारी ही बीमारी है लेकिन ईलाज के नाम पर सरकार सिर्फ ठगने का काम कर रही है । एम्स की जरुरत है सहरसा में लेकिन सरकार निर्णय लेने में देर कर रही है ।

शिक्षाविद सत्यनारायण कामत ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि जनता ईलाज के नाम पर कार्ड लेकर दर-दर भटक रही है और सरकार ढोल पीट रही है । लोंगों को भरोसा था कि प्रधानमन्त्री मोदी ईलाज में मदद करेंगें लेकिन निराशा ही हाथ लगी है ।


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