धर्म और समाजसेवा एक दूसरे के पर्याय हैं और मौजूदा समय में इसे चरितार्थ किया है आचार्य किशोर कुणाल ने। वैसे तो आचार्य की कई पहचान हैं। एक पूर्व आईपीएस अधिकारी की। एक धर्माचार्य की और एक कुशल प्रशासक की। अपने कुशल प्रशासन से आचार्य किशोर कुणाल स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार उपलब्धियां दर्ज कर रहे हैं। मंदिर की आय से वे कई अस्पतालों का निर्माण कर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। अभी उनके नेतृत्व में महावीर कैंसर संस्थान समेत 23 अस्पताल चल रहे हैं।
12 जून 1950 को मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव में जन्मे किशोर कुणाल ने संस्कृत भाषा में पढ़ाई पूरी की। संस्कृत और इतिहास से भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने के बाद उन्होंने अपनी पहली पहचान एक कड़क पुलिस अधिकारी के रूप में बनाई। पटना के एसपी के तौर पर वह पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर से जुड़े।
एक नवंबर 1987 से महावीर मंदिर का ट्रस्ट बनाकर समाजसेवा की शुरुआत की। जब महावीर मंदिर से जुड़े तो उस वक्त मंदिर की आय सालाना 11 हजार रुपये की थी। आज मंदिर का बजट 212 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अकेले यह मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड को 55 लाख रुपये सालाना शुल्क देता है। कुणाल कहते हैं, हिन्दू धर्म की परोपकार नीति से प्रभावित हो ट्रस्ट की आय से एक जनवरी 1989 को पहला अस्पताल राजधानी के किदवईपुरी में खोला। शीघ्र ही चिरैयाटांड़ में इसे वृहद रूप दिया गया। आज महावीर आरोग्य अस्पताल आम बीमारियों के इलाज के लिए काफी मशहूर है। यह अस्पताल नेत्र रोग के इलाज के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है।
1998 में खोला महावीर कैंसर अस्पताल : महावीर मंदिर ट्रस्ट के द्वारा राजधानी में 12 दिसंबर 1998 को कैंसर के इलाज के लिए महावीर कैंसर अस्पताल खोला गया। इसके पहले बिहार के मरीजों के पास कैंसर के इलाज के लिए सीधे दिल्ली-मुंबई जाने का ही विकल्प था। महावीर कैंसर अस्पताल के खुलने के बाद रियायत दर पर मरीजों को कैंसर के इलाज की सुविधा मिलने लगी। आज हर साल चार लाख से अधिक कैंसर मरीज इस अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। इसमें बिहार के अलावा आसपास के राज्यों नेपाल और बांग्लादेश के मरीज भी शामिल हैं।
अब क्रॉनिक मरीजों के लिए स्पेशल अस्पताल की तैयारी : कैंसर के स्पेशल अस्पताल के बाद राजधानी के कुर्जी में बच्चों के इलाज के लिए महावीर वात्सल्य अस्पताल की स्थापना की गई। अभी राजधानी में चार स्पेशियलिटी और एक जनरल हॉस्पिटल किशोर कुणाल के नेतृत्व में चल रहा है।
इसके साथ ही हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, जनकपुर, मोतिहारी आदि शहरों में मंदिर ट्रस्ट की ओर से कई अस्पताल खोले गए हैं। हर अस्पताल में कम दाम पर बिकने वाली दवा की दुकानें खोली गई हैं। आगे की योजनाओं के बारे में वे कहते है, अब एम्स के पास ट्रस्ट की जमीन लेकर कैंसर रोगियों के इलाज और रहने-खाने के लिए अलग से सौ बेड का अस्पताल खोलने की तैयारी है।
वे कहते हैं, राजधानी और आसपास के इलाकों में क्रॉनिक बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या काफी अधिक है। उनके इलाज के लिए स्पेशल हॉस्पिटल बनाने की आवश्यकता है। यहां से बाहर जाकर इलाज कराने वाले मरीजों को बिहार में ही इलाज की बेहतर व्यवस्था देकर रोकना होगा। इससे राज्य का पैसा राज्य में ही रहेगा और मरीजों और परिजनों को भी राहत और सुविधा मिलेगी।