उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : जननी सुरक्षा का दावा करने वाली सरकार जच्चा बच्चा की सुरक्षा के प्रति कितनी जागरूक है, इसका अंदाजा बुधामा पंचायत स्थित 9 वर्षों से बंद उप स्वास्थ्य केन्द्र से लगाया जा सकता है। वर्ष 2010 से उप स्वास्थ्य केन्द्र पर ताला लटका हुआ है, इससे ग्रामीणों को इलाज के लिए काफी परेशानी उठाना पड़ रहा हैं। वहीं महिलाओं को टीकाकरण के लिए अनुमंडल मुख्यालय या जिला मुख्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा हैं। वर्षों बाद भी पद रिक्त रहने के बावजूद चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों का पदस्थापन नहीं किया जा रहा है। इससे मरीजों को और खासकर गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा और टीकाकरण में काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है। परेशानियां तब और भी बढ़ जाती है जब आशा और ममता कार्यकर्ता के बदले उनके पति अप्रशिक्षित होकर भी पोलियो या अन्य टीकाकरण में काम करते नजर आए हैं। जबकि सरकार महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा बेहतर करने के लिए महिला बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की बहाली की है। इस प्रकार की कुव्यवस्था चिकित्सा प्रभारी डॉ डी. के. सिन्हा और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से मिलीभगत से चरम पर है।
लाखों रुपये के लागत से बुधामा पंचायत स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र 9 वर्ष से बनकर तैयार कर अस्थाई तौर पर ताले लटके हुए हैं। जिसका कोई लाभ क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन निर्माण होने के उपरांत तत्कालीन जिप अध्यक्षा सुनीला देवी के हाथों उद्घाटन होने से क्षेत्रीय लोगों में आशा की एक नई किरण दिखाई दी, लोगों को लगा कि अब हमारे दिन बहूरेंगे। परंतु विडंबना इस बात है कि उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के बाद आजतक एक भी मरीजों का इलाज यहां नहीं हो पाया है। उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन अब जर्जर होने का इंतजार है। आसपास चारों तरफ गंदगी के अंबार में झाड़ी उगकर स्वच्छ भारत अभियान को चुनौती देता दिखाई पड़ रहा है। उप स्वास्थ्य केंद्र में आज तक इलाज तो नहीं हो पाया है मगर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कभी मरम्मत के नाम पर, कभी रंग रोगन के नाम पर तो कभी उप स्वास्थ्य केंद्र परिसर में मनरेगा से मिट्टी भराई के नाम पर सरकारी राशि का लूट खसोट खूब किया है।
9 वर्षों से विभागीय लापरवाही के कारण चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों का पदस्थापन नहीं होने के कारण गांव के मरीजों को इलाज के लिए लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर उदाकिशुनगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या 40 से 45 किलोमीटर की दूरी पर सदर अस्पताल मधेपुरा या अन्यत्र जगह जाना पड़ता है। इस दौरान गर्भवती व प्रसुता महिलाओं को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। हालांकि चिकित्सा पदाधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सप्ताह में दो बार एएनएम को भेजने का दावा कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में इन दिनों में भी ग्रामीणों को उपचार की सुविधा नहीं मिल रही है। लम्बे समय से चली रही इस परेशानी को लेकर ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री तक को अवगत करवाया, लेकिन 9 वर्ष से सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों को छोटी-मोटी बीमारी के इलाज के लिए भी अनमंडल मुख्यालय और जिला मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों द्वारा की जा रही मांग की अभी तक किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में क्षेत्र के ग्रामीण चिकित्सा सुविधा को लेकर तरस रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीण समाजसेवी सुबोध चौधरी उर्फ गनगण चौधरी ने 25 अप्रेल को अनुमंडलीय लोक निवारण शिकायत केंद्र में शिकायत कर बुधामा उप स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवा बहाल करने के लिए कम से कम एक एएनएम, एक पारा मेडिकल स्टाॅफ सहित दवाओं का मांग किया था। लेकिन चिकित्सा प्रभारी डॉ. डी. के. सिन्हा ने अपने रिपोर्ट में यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि हमारे यहां एक तो एएनएम की कमी है और जितने भी एएनएम हमारे संस्थान में मौजूद हैं सभी पूरे माह टीकाकरण और प्रसव में व्यस्त रहती है।
उदाकिशुनगंज चिकित्सा प्रभारी डॉ. डी. के. सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों समेत स्वास्थ्य कर्मियों का घोर अभाव है। जिसके चलते उप स्वास्थ्य केंद्रों में किसी कर्मी का पदस्थापन नहीं किया गया है।