मधेपुरा : जन्म से ही विकलांग थी मासूम परी चांदनी, चमकी बुखार ने ले लिया आगोश में और कह गई दुनिया को अलविदा

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सुभाष कुमार
संवाददाता
घैलाढ़, मधेपुरा

घैलाढ़/मधेपुरा/बिहार : प्रखंड क्षेत्र के अर्रहा महुआ दीघरा पंचायत के सबेला चौक समीप वार्ड नंबर 16 निवासी दीपक कुमार की ढेर वर्षीय बेटी चांदनी कुमारी की मौत चमकी बुखार से हो गई।

मृत बच्ची के दादा दिनेश यादव ने रोते-रोते बताया कि मेरी प्यारी पोती एक वर्ष आठ माह की थी। जन्म से ही पैर से विकलांग व दिमाग से भी विकलांग होने के कारण वह नन्ही सी परी बोल नहीं सकती थी, उसका इलाज दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल से चल रहा था । उन्होंने बताया कि शनिवार के दिन मेरी पोती चांदनी को अचानक तेज बुखार आया, जिसके बाद उसका पूरा शरीर कांपने लगा, बच्ची की हालत देख हम सभी परेशान हो गए।  इलाज के लिए निकट के झोलाछाप डॉक्टर से उपचार करवाया, लेकिन सुधार नहीं होने पर बेहतर इलाज के लिए पैसे जुटाकर बाहर के हॉस्पिटल जाने तैयारी कर रहे थे लेकिन उसी दौरान मेरी बच्ची दम तोड़ दी।

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इस हादसे की जानकारी मिलने के बाद आज सुबह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी घैलाढ़ डॉ ललन कुमार, मृत बच्ची के परिजन के घर मेडिकल दास्तां टीम भेजवा कर घटना की जानकारी ली तथा इर्द गिर्द के लोगों को इकट्ठा कर मेडिकल टीम ने अपील कर कहा कि इस तरह के चमकी बुखार वाले मरीज की जानकारी हमें फौरान दें एवं अस्पताल जरूर लावे, ताकि सही ढंग से उपचार हो सके और मरीज की जान बचाया सके।  वहीं डॉ संजय कुमार मिश्र ने लोगों के बीच चमकी बुखार जैसे आने वाली बीमारी के लक्षण तथा उनसे बचाव के उपाय के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि चमकी बुखार से संबंधित किसी भी तरह के लक्षण हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, आंगनवाड़ी सेविका एवं आशा कार्यकर्ता को सूचित अवश्य करें ताकि इन लक्षणों के मरीज को सही उपचार मिल सके।

 उधर स्वास्थ्य प्रबंधक कुमार धनंजय ने बताया कि बुखार से लड़ने वाली सभी तरह की दवा उपलब्ध है। इस तरह के मरीज आने पर तुरंत डॉक्टरों द्वारा सही उपचार की जाएगी ।

 मौके पर डॉ अरुण कुमार महतो, केयर इंडिया के प्रबंधक सोनी गांधी, डाटा ऑपरेटर विनोद कुमार आदि मौजूद थे। 

मालुम हो कि मधेपुरा जिला अंतर्गत अब तक दो बच्चे चमकी बुखार की चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं, लोगों में इस बात का डर काफी है कि कहीं यह बीमारी यहाँ भी महामारी का शक्ल इख्तियार ना कर लें

। लिहाजा समय रहते जिला स्वास्थ्य समिति के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी इस दिशा में गंभीरता पूर्वक ध्यान देने की जरुरत है ताकि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों चमकी बुखार का समुचित इलाज संभव हो सके और मासूमों की जिंदगी को बचाया जा सके 


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