जानिए बिहार की चर्चित मुखिया रितु जायसवाल ने क्यों लिखा है फेसबुक पर मार्मिक पोस्ट

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

रितु जयसवाल लिखती हैं कि न व्यथित हूँ न चिंतित हूँ, संसद की तरह स्थगित हो गई हूँ। दम घुटता है इस सिस्टम में। इस भ्रष्ट तंत्र की हकीकत को ले कर। भ्रष्ट तंत्र के चिंताजनक हालात पर 3 साल से अपने ज़ेहन में दबाए रखे मन की व्यथा आप से साझा करना चाहती हूँ। गाँव में काम करते करते पिछले 3 साल से तंत्र की निकम्मेपन की वजह से आये दिन सरकारी अस्पताल में हो रहे गरीबों की मौत पर, प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने पर, मनरेगा में मज़दूरों की हकमारी पर, आम जनता के राशन को अफसरों के साथ मिल कर खाने को ले कर, राजनैतिक अनैतिकता जैसे कई मुद्दों ने मेरे अंतर्मन को झकझोड़ रखा है।

आज तक आपने हमारे पंचायत की अच्छाइयों को, हमारी उपलब्धियों को सुना और जाना है, पर आज आपको अपनी कमियों को बताऊँगी, अपने पंचायत की, प्रखण्ड कार्यालय की, अनुमण्डल कार्यालय की, जिला कार्यालय की दुर्दशा बताऊँगी। इस भ्रष्ट तंत्र की वजह से मैं जो रात दिन झेलती हूँ वो आप को बताऊँगी। भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा ऐसी है कि एक ईमानदार व्यक्ति इसमे घुटन महसूस करता है और कभी कभी आत्महत्या करने का विचार मन मे आने लगता है पर वो कायरता है या कुछ कर्तव्यनिष्ठ लोगों का और परिवार का साथ है जो ऐसा करने से रोकता रहता है और यह संघर्ष की लौ जलती रहती है जो किसी भी दिन अचानक से बुझ सकती है। आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की नज़र अलग से रहती हीं है।


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