मधुबनी-रेल मंत्रालय : पुरस्कार में अरेस्ट वारंट

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अनुप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

आज मन काफी व्यथित है।  खासकर बिहार के उन हुनरमंद कलाकारों के लिए जिन्होंने निस्वार्थ भावना से अपनी कला से एक रेलवे स्टेशन को विश्व स्तर का बनाया उन कलाकारों को जहां शासन-प्रशासन के द्वारा पुरस्कृत किया जाना चाहिए था, वही हकमारी के खिलाफ आवाज उठाने वाले उन कलाकारों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज कर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
देश के सबसे गंदे रेलवे स्टेशनों में कभी शुमार  बिहार का  मधुबनी रेलवे स्टेशन जैसा की तस्वीरों में आप देख सकते हैं ।  मधुबनी पेंटिंग की चकाचौंध में खोया है आपको जानकर आश्चर्य होगा।  मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने निस्वार्थ भावना से चाय और बिस्किट के मेहनताने पर इस स्टेशन को विश्वस्तरीय कलाकृति का स्वरूप दिया है।  

चर्चा आज इसलिए उठ रही है कि कलाकारों के हूनरमंद हाथों को काटने की पूरी साजिश प्रशासन द्वारा की गई है।  एक तो स्टेशन पर पेंटिंग करने वाले कलाकारो को मेहनताना नहीं मिला, उल्टे उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा कर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया है।

कलाकार राकेश कुमार झा की जुबानी उनकी ब्यथा सुनिए जो निम्न है। “बात तब की है जब मैं ने मधुबनी स्टेशन को कलाकारों के श्रमदान से मिथिला पेंटिंग से सुंदर बनवाया । बात हुई थी कि ये वर्ल्ड का सबसे बड़ा फोक आर्ट होगा जूस गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाएगा । पर ना रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज करवाया गया और अतिंम दिन ONGC, IOCL, कोल इंडिया लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियों का बैनर स्पॉन्सर के रूप में टांगा गया । मैं ने जब सवाल उठाया कि फ्री के काम मे स्पॉन्सर कहाँ से आया और आया तो फिर वो पैसा कलाकारों में बराबर बंटे । तो आनन फानन में बोर्ड सब हटा दिया गया और मुझ पर कमीशन मांगने का आरोप लगा दिया गया ।

बाद में रेलवे मंत्रालय द्वारा दिये गए पुरस्कार राशि का भी बंदरबांट हुवा । इसी विरोध में 2 दिन 4-4 घण्टे स्वतंत्रता सेनानी रोकी गई पर कोई रेलवे का अधिकारी नही आया बात करने और केस कर दिया जिसका अब वारंट निकला है । केश नम्बर 373/18 रेलवे कोर्ट समस्तीपुर से बिना fir, बिना सम्मन सीधे अरेस्ट वारंट।


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