पटना/बिहार : दलित एवं मुस्लिमों को उनके आबादी के हिसाब से राजनीतिक भागीदारी मिलनी चाहिए। तांती बुनकर की तरह मुस्लिम बुनकरों (जुलाहा /अंसारी) को भी अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाए।
उक्त बातें दलित मुस्लिम एकता मंच के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हाजी अलीम अंसारी ने क्रिस्टल होटल में कार्यकर्ता बैठक एवं प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम गरीब कामगारों को अनुसूचित जाति की तर्ज पर सब्सिडी का लोन दिया जाय ताकि वे हुनर से जुड़ सकें और अपनी स्थिति सुधार सकें। दलित मुस्लिम एकता मंच के संरक्षक मो० उस्मान ने कहा कि आजादी को 72 वर्ष हुए परंतु आज तक राज्य सरकार ने दलित मुसलमानों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया। यह सरासर अन्याय है। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बेताब अहमद ने कहा कि अतिपिछड़ा मुसलमानों को कमजोर समझने की भूल कोई भी नहीं करे क्योंकि विगत वर्षों में सत्ता परिवर्तन में अतिपिछड़ा मुसलमानों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। वर्तमान में इन जातियों को समझ बूझ से काम लेना होगा। मो० सलाम इराकी ने मुस्लिम कलवार (कलाल) को अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल करने की सरकार से मांग की।
उन्होंने कहा कि इस समाज की हालत शैक्षणिक,आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी पिछड़ा है फिर भी उन्हें उचित लाभ नहीं मिलता। नूर बानो ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा अति पिछड़ी जातियों में से लोकसभा और विधानसभा में अनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं है जिस कारण इनकी आवाज नहीं उठ पाती।
इस मौके पर शरीफ कुरैशी, प्रोफेसर हबीबुल्लाह, मोहम्मद सिराजुद्दीन, डॉ० आसिफ अंसारी, अशरफ अंसारी, डॉ० एम एम राजा, असलम अंसारी (एडवोकेट), कुमार रवि, अब्दुल जब्बार अंसारी, मोहम्मद शाहिद, मो०तनवीर आलम, अरुण दास आदि ने भी अपने विचार रखे।