दरभंगा/समस्तीपुर/बिहार : समस्तीपुर लोकसभा के वर्तमान सांसद और लोजपा के दलित सेना के नेता रामचंद्र पासवान आजकल हायाघाट विधानसभा में चर्चा का विषय बने हुए है। हालाँकि क्षेत्र के लोगो का आरोप है कि इनकी उपस्थित कम रहने की वजह से भी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया मे काफी चर्चा में थे।
विगत 15 जनवरी 2019 को इनके द्वारा हायाघाट विधानसभा के पश्चिमी बिलासपुर पंचायत में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत एक करोड़ 74 लाख की लागत से एक सड़क का उद्घाटन किया गया जो क्षेत्र में ही नही पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है। उदघाटन कार्यक्रम में सिर्फ और सिर्फ मननीय सांसद रामचंद्र पासवान और लोजपा के प्रदेश महासचिव आर के चौधरी की उपस्थिति देखने को मिली। स्थानीय पंचायत के मुखिया शफीउर रहमान उर्फ बौआ मियां ने हमारे संवाददाता से बात करते हुए इस प्रकरण की घोर निंदा की है। उन्होंने कहा कि सांसद महोदय ने हमे नही बुलाकर न सिर्फ पंचायत के मुखिया का अपमान किया है बल्कि पूरे पंचायत का अपमानित कर गठबंधन धर्म को ताक पर रख दिया। जिसका खामियाजा आगामी चुनाव में एनडीए को उठाना पर सकता है।
गौरतलब हो कि शफीउर रहमान उर्फ बौआ मियां इस पंचायत के मुखिया होने के साथ साथ जदयू के सक्रिय सदस्य भी है और अल्पसंख्यक समुदाय का नेतृत्व भी करते है। इस प्रकरण की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस उदघाटन कार्यक्रम में न तो किसी स्थानीय प्रतिनिधि को बुलाया गया और न गठबंधन दल के अन्य नेताओं को। हमारे संवाददाता ने जब प्रतिनिधयों से संपर्क साधा तो पता चला कि स्थानीय विधायक अमरनाथ गामी जो जदयू से है, प्रखंड प्रमुख जो लोजपा से आते है, जिलापरिषद सदस्य जो भाजपा से आते है, मुखिया जो जदयू के सक्रिय सदस्य के अलावा अल्पसंख्यक समुदाय का बड़ा चेहरा है, जदयू के प्रखंड अध्यक्ष कैलाश ठाकुर और भाजपा के मंडल अध्यक्ष राजेश चौधरी। इन सभी लोगो को भी इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नही दी गई। हा लोजपा के प्रखंड अध्यक्ष रंजीत झा उक्त कार्यक्रम में मौजूद थे। मजे की बात ये है कि वहाँ मौजूद शिलापट में सांसद रामचंद्र पासवान और लोजपा प्रदेश महासचिव आर के चौधरी का नाम मौजूद है लेकिन एक भी जनप्रतिनिधि का नाम अंकित नही है। ये तमाम लोग भी अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे है।
अब इस प्रकरण ने कई सवाल खड़ा कर दिया है की क्या सांसद महोदय को गठबंधन के अन्य घटक दलों की आवश्यकता नही है या व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के चक्कर मे ऐसा काम कर गए! इस संबंध में जब सांसद महोदय से फोन पर जानकारी ली गई तो उन्होंने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि, हम सांसद है, मेरा काम किसी को बुलाना नही है। ये काम कार्यक्रम के आयोजनकर्ता की है के किसे बुलाया जाए या किसे नही। मतलब सांसद महोदय सीधे तौर पर इस प्रकरण का जिम्मेदार सरकारी महकमे को बना दिया। अब ज़िम्मेदार कोई भी हो ये बात तो जगजाहिर हो गया कि लोकसभा चुनाव नजदीक है और इस तरह से अपने ही दल के लोगो को नजरअंदाज कर के चलना पार्टी के साथ साथ गठबंधन को भी नुकसान पहुंच सकता है।