बिहार शरीफ/बिहार : कुदरत के साथ कदम ताल करने का मौका इंसान को कभी-कभी मिलता है। जी हां, प्राकृतिक सौंदर्य के अद्भुत नजारे अपने आप में समेटे हुये नवसृजित पर्यटनस्थल घोड़ा कटोरा किसी सौगात से कम नहीं। पहले का दृश्य देखकर विश्वास ही नहीं होता कि नक्सलियों के आतंक से विरान हुआ यह इलाका फिर से प्राकृतिक सौंदर्य को मात करने वाली सुन्दरता हासिल कर सकता है। 11 बजे सीएम नीतीश कुमार घोड़ा कटोरा झील के मध्य में स्थापित किए गए पत्थर के 50 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण करेंगे। पर्यटन विभाग ने इसके लिए सारी तैयारी पूरी कर ली है।
दरअसल राजगीर के मनोरम स्थलों में एक घोड़ा कटोरा झील और इसके आसपास के पूरे इलाके को विकसित किया जा रहा है, यहां पर्यटकों के लिए कई विशेष सुविधाएं विकसित की जा रही है। मूर्ति को देखने में पर्यटकों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए विशेष मोटर वोट की भी व्यवस्था की जा रही है। घोड़ा कटोरा के छोटी सी झील की यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं है। रोपवे से यहां तक पहुंचने के लिए तांगे व बैट्री चालित वाहन का सफर भी कफी रोमांचक है। इको फ्रेंडली क्षेत्र होने के कारण पट्रोलियम पदार्थ से चलने वाले वाहनों का प्रवेश यहां पूरी तरह वर्जित है। प्रतिदिन 15 से 20 लोगों का आनंद लेते हुए पर्यटक घोड़ा कटोरा पहुंचते हैं हालांकि सीजन में यह अकड़ा 50 से ऊपर पहुंच जाता है।
घोड़ा कटोरा का रास्ता घुमावदार एवं चढ़ाई वाला है। लाल मिट्टी से बनी सड़क, उबड़-खाबड़ रास्ता, घोड़े की टापों की आवाज के बीच पर्यटक घोड़ा कटोरा कब पहुंच जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता। सुंदर झील के बीच में वोटिंग का आनंद वास्तव में किसी रोमांच से कम नहीं लगता। लकिन अभी तक घोड़ा कटोरा देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र नहीं बन सका है। सीएम नीतीश कुमार से लेकर पर्यटन विभाग के मंत्री व आला अधिकारी तक घोड़ा कटोरा को नेशनल टूर पैकेज से जोड़ने की बात तो करते है लेकिन प्रयास नाकाफी ही दिखती है। जब इसकी शुरुआत की गयी थी उस वक़्त रोपवे के ही खर्च पर पर्यटकों को घोड़ा कटोरा जाने की अनुमति थी लेकिन धीरे धीरे यह सिस्टम बंद हो गया। अभी पर्यटकों को इसके लिए अलग से रुपये देने होते है और बोटिंग के लिए 4 अलग। एक बार टूर पैकेज के सिड्यूल में घोड़ा कटोरा फिक्स हो जाए फिर पर्यटकों की संख्या भी तेजी से बढ़ जाएगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने प्रवास के दौरान झील के बीचोंबीच भगवान बुद्ध व उनके शिष्यों की विशाल प्रतिमा जल्द ही स्थापित करने का निर्देश पर्यटन विभाग को दिया था।रेस्तरां व सुरक्षा के सवाल पर अभी तक कुछ खास पहल होता हुआ नहीं दिख रहा है। रेस्तरां के नाम पर बस चाय,चिप्स व पानी ही उपलब्ध है। अब ऐसे में पर्यटकों को इको टूरिज्म के नाम पर बस टमटम व बोटिंग ही बताया जा सकता है। इको टूरिज्म क्या है या इससे राजस्व कैसे आ सकता है इसके लिए अधिकारियों को इस कांसेप्ट को जानने की ज़रूरत है।