घैलाढ़/मधेपुरा/बिहार : छठ पर्व को लेकर जिला प्रशासन द्वारा घैलाढ़ प्रखंड अंतर्गत तेरह छठ घाटों को चिन्हित किया गया है। लेकिन इन छठ घाटों की साफ-सफाई सहित अन्य व्यवस्था नहीं किये जाने से लोगों में नाराजगी दिख रही है। इनमें कई छठ घाटों की ऐसी स्थिति है कि तालाब व नदियों में गंदगी का अंबार है। इस बार छठ व्रतियों को अभी से चिंता सताने लगी है कि इस बार सूर्य देवता की पूजा कैसे होगी ?
सनद रहे कि घैलाढ़ प्रखंड मुख्यालय समीप राजा पोखर, बिगही पोखर, श्रीनगर पंचायत के दो तालाबों, बेलोखरी गांव का मुसहरी तालाब , परमानपुर तिलावे नदी आदि ऐसे घाट हैं जहां प्रतिवर्ष दस हजार से अधिक छठ व्रती व श्रद्धालु जुटते हैं। इसके बावजूद इन सभी छठ घाटों की सफाई के लिए प्रशासनिक स्तर से कोई व्यवस्था नहीं किए जाने से छठ व्रतियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि स्थानीय सामाजिक संगठनों द्वारा कई छठ घाट की सफाई कराई जा रही है। साथ ही छठ व्रतियों तथा श्रद्धालुओं को छठ घाट पर पहुंचने के लिए पथ की मरम्मत सामाजिक संगठन की ओर से ही कराई जा रही है। किंतु इस बार नदी व तालाबों में अधिक जलकुंभी रहने के कारण संचित पानी रहने के कारण छठ व्रतियां भयभीत हैं। घाटों की यह स्थिति श्रद्धालुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। छठ घाट तक पहुंचने के लिए सरकारी स्तर से प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं की गई है।
उक्त बाबत में अंचलाधिकारी रमेश प्रसाद सिंह ने बताया कि इस बार अन्य सालों की भांति छठ घाट को दुरुस्त कराने अथवा वहां कोई सुविधा प्रदान करने के लिए सरकारी या जिला स्तर से फंड नहीं उपलब्ध किए जाने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।
इधर छठ व्रतियों व श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन द्वारा चिन्हित घाटों पर प्रशासनिक स्तर पर वोलेंटियर की व्यवस्था करनी चाहिए। सबसे अधिक बच्चों के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम होने चाहिए । परिवार के सभी लोग पूजा में व्यस्त हो जाते हैं हर साल ऐसी स्थिति होती है कि बच्चे भीड़ में भटक जाते हैं। जल स्तर बढ़ जाने के कारण खतरा रहता है, वोलेंटियर की टीम को अगर प्रशासन इस काम में लगाए तो बहुत हद तक समस्या दूर हो सकती है । प्रशासन अगर यहां अस्थाई रास्ते में सुधार और अस्थाई हाय मास्ट लाइट लगा देती है तो समस्या दूर हो जाएगी। छठ घाट की साफ-सफाई कर गंदगी व कीचड को निकाला जाय। इन लोगों ने कहा कि बीते वर्ष इन सभी संवेदनशील घाटों पर बैरिकेटिंग की गई थी , लेकिन इस बार ऐसी व्यवस्था नहीं होने से खतरा बढ़ गया है ।