चौसा/मधेपुरा/बिहार : इनदिनों दीपावली पर मिट्टी की दिये की जगह इलेक्ट्रॉनिक चाइनीज रंग-बिरंगे दीप व कैंडल लाइट आदि ने ले ली है। इसके कारण दिन-ब-दिन मिट्टी के दीप की बिक्री घटती जा रही है। इससे कुम्हार जाति के लोग अपने मुख्य पेशा से विमुख होते जा रहे हैं। पर्व के दिनों में एक माह पहले से रात-दिन दीप, ढिबरी, धूपदानी, हथरकी, घंटी आदि कुम्हार बनाते थे, जिसकी खूब बिक्री होती थी। इस कार्य से अच्छी कमाई हो जाती थी, परंतु अब यह गुजरे जमाने की बात बन कर रह गई है। इनदिनों बाजारों में कई तरह की इलेक्ट्रॉनिक लाइट, कैंडल, दीप, फोटो, रंगोली बनाने वाले फ्रेम आदि आ गये हैं, जिसके कारण मिट्टी के दीप की रौशनी इन लाइटों के सामने फीकी पड़ गयी है। एक तरफ चाइना के सामानों का जहां लोग विरोध कर रहे हैं, वही दूसरी दीपावली में चाइना बल्ब की जगमगाहट में कुम्हारों के बने दिये फीके पड़ गए हैं ।
चौसा प्रखंड के कुम्हार रूपलाल पंडित, मदन पंडित और सुदामा पंडित बताते हैं कि एक तो हम लोग दीपावली से एक माह पूर्व मिट्टी खरीद के लाते हैं उसके बाद पूरा परिवार मिलकर दिन रात मेहनत कर मिट्टी गोंदकर चाक पर छोटे छोटे दिये बनाते हैं । लेकिन चाइनीज रंग-बिरंगे दीप की जगमगाहट में हमारी मेहनत के साथ साथ हमारी उम्मीदें भी फींकी पड़ जारी है । क्योंकि 90 प्रतिशत लोग चाइनीज बल्ब ही खरीदते हैं। जबकि चाइनीज बल्ब से बहुत ही सस्ते में हम दिया बेचते हैं । वहीं ग्रामीणों का कहना है कि दिये जलाने के लिए सरकार द्वारा मात्र एक लीटर ही तेल मिट्टी तेल दिया गया है जो इस मौके के लिए बहुत कम है , इसलिए चाइनीज बल्ब का सहारा लेना मज़बूरी है ।